क्या जिनपिंग के एजेंडे पर काम कर रही हार्वर्ड? US की संसद ने जांच को तेज करने के दिए आदेश

अमेरिका की सबसे प्रतिष्ठित शिक्षण संस्था हार्वर्ड यूनिवर्सिटी इन दिनों भारी विवादों में घिर गई है। अमेरिकी कांग्रेस की जांच में यह सामने आया है कि हार्वर्ड ने बीते एक दशक से भी अधिक समय तक चीन की कम्युनिस्ट पार्टी से जुड़े संगठनों के साथ औपचारिक साझेदारी रखी। इन रिश्तों के जरिए हार्वर्ड पर आरोप है कि वह चीन के भविष्य के नेताओं को प्रशिक्षण देने में मदद कर रहा था।

इस मामले में अमेरिकी सांसदों जॉन मोलनार, टिम वालबर्ग और एलिस स्टेफनिक ने एक पत्र के जरिए आरोप लगाया है कि हार्वर्ड ने चीन की सत्तारूढ़ पार्टी की केंद्रीय संगठन विभाग के साथ मिलकर काम किया, जो ‘शी जिनपिंग विचारधारा’ के प्रचार और चीनी नेतृत्व के चयन के लिए जिम्मेदार है। खासतौर पर हार्वर्ड के केनेडी स्कूल और चीन के एक सरकारी संस्थान लीडरशिप एकेडमी के बीच लंबे समय से सहयोग जारी था।

अमेरिकी धरती पर विदेशी प्रभाव का खतरा
सूत्रों के अनुसार, चीनी सरकारी संस्थानों के अधिकारी हार्वर्ड में आधिकारिक प्रशिक्षण के लिए भेजे गए थे। व्हिसलब्लोअर की गवाही में यह भी कहा गया कि इन कार्यक्रमों के जरिए चीन को अपने अधिकारियों को अमेरिका में प्रशिक्षित करने का मौका मिला, जो अमेरिकी नीति और समाज पर विदेशी प्रभाव का सीधा खतरा है।

मानवाधिकार हनन से जुड़े समूहों को प्रशिक्षण का भी खुलासा
यह खुलासे ऐसे समय पर हुए हैं जब हार्वर्ड पहले ही कैंपस में यहूदी विरोधी घटनाओं और विवादित डीईआई (डाइवर्सिटी, इक्वटी, इन्क्लूजन) नीतियों को लेकर जांच का सामना कर रहा है। अप्रैल में भी एक रिपोर्ट में सामने आया था कि हार्वर्ड ने शिनजियांग प्रोडक्शन एंड कंस्ट्रक्शन कॉर्प्स (एक सीसीपी अर्धसैनिक संगठन) के अधिकारियों को भी प्रशिक्षण दिया था, जिस पर उइगर मुसलमानों के नरसंहार में शामिल होने का आरोप है।

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