संजय राउत ने सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल पर उठाए सवाल, कहा- INDIA गठबंधन को बहिष्कार करना चाहिए था

मुंबई: शिवसेना (यूबीटी) के सांसद संजय राउत ने रविवार को कहा कि विपक्षी गठबंधन इंडिया में शामिल दलों को आतंकवाद के खिलाफ भारत की प्रतिबद्धता दर्शाने के लिए केंद्र सरकार द्वारा विभिन्न देशों में भेजे जा रहे सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल का बहिष्कार करना चाहिए था। यह कदम “ऑपरेशन सिंदूर” की पृष्ठभूमि में उठाया गया है। राउत ने आरोप लगाया कि यह प्रतिनिधिमंडल सरकार द्वारा किए गए “पापों और अपराधों” का बचाव करेगा।

उन्होंने कहा, ऐसे प्रतिनिधिमंडल को भेजने की कोई आवश्यकता नहीं थी, वह भी सरकार के खर्चे पर। ये वहां करेंगे क्या? हमारे पास विदेशों में राजदूत हैं, वे अपना काम कर रहे हैं। इंडिया गठबंधन को इसका बहिष्कार करना चाहिए था। वे सरकार द्वारा बिछाए गए जाल में फंस रहे हैं। आप देश का नहीं, सरकार द्वारा किए गए पापों का बचाव करने जा रहे हैं।

राउत ने श्रीकांत शिंदे को लेकर खड़े किए सवाल
उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि शिवसेना (यूबीटी), तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी), राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) जैसे दलों से इस बारे में कोई सलाह-मशविरा क्यों नहीं किया गया? राउत ने कहा, शिवसेना सांसद श्रीकांत शिंदे को प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करने के लिए नामित किया गया, जबकि हमारी पार्टी की लोकसभा में पर्याप्त संख्या है। हमें भी प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करने का मौका मिलना चाहिए था। किस आधार पर कह रहे हैं कि यह सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल है?

केंद्र सरकार के इस प्रयास के तहत 51 राजनीतिक नेता, सांसद और पूर्व मंत्री सात प्रतिनिधिमंडलों में शामिल होकर 32 देशों और यूरोपीय संघ मुख्यालय (ब्रसेल्स) की यात्रा करेंगे ताकि वैश्विक मंच पर भारत की आतंकवाद के खिलाफ नीति को प्रस्तुत किया जा सके। इन सात प्रतिनिधिमंडलों का नेतृत्व बैजयंत पांडा, रविशंकर प्रसाद (दोनों बीजेपी), संजय कुमार झा (जेडीयू), श्रीकांत शिंदे (शिवसेना), शशि थरूर (कांग्रेस), कनिमोझी (डीएमके) और सुप्रिया सुले (एनसीपी-एसपी) कर रहे हैं। इनमें 31 नेता एनडीए से और 20 गैर-एनडीए दलों से हैं।

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