ब्रिटेन: भ्रष्टाचार के नए आरोप से घिरे बोरिस जॉनसन , अब हो सकता है ऐसा

मीडिया रिपोर्टों में कहा गया है कि हाल की घटनाओं से प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन की छवि धूमिल हुई है। 2019 में भारी बहुत से सत्ता में आने के बाद ही उनकी सरकार को कई घोटालों का सामना करना पड़ा है। विश्लेषकों का कहना है कि इन मामलों से उन्हें अभी तक ज्यादा सियासी नुकसान नहीं हुआ है, लेकिन आगे उनकी पार्टी को मतदाताओं की नाराजगी झेलनी पड़ सकती है…

हफ्ते भर के भीतर ब्रिटेन की बोरिस जॉनसन सरकार भ्रष्टाचार के दो बड़े मामलों के खुलासे से कठघरे में खड़ी हुई है। रविवार को नया मामला सामने आया। यहां के अखबार संडे टाइम्स ने एक रिपोर्ट में बताया कि बीते दो दशक में पार्टी के जो 16 कोषाध्यक्ष हुए, उनमें से 15 ने पार्टी को 30 लाख पाउंड से ज्यादा का चंदा दिया। इसके बदले उन सबको ब्रिटिश संसद के ऊपरी सदन हाउस ऑफ लॉर्ड्स की सदस्यता दी गई। जॉनसन सरकार ने इस आरोप का खंडन किया है।

इसके पहले पिछले हफ्ते संसदीय व्यवहार की निगरानी वाली संस्था- संसदीय प्रतिमान आयोग ने एक जांच में पाया था कि पार्टी के सांसद ऑवेन पैटरसन ने लगातार दो कंपनियों की तरफ से मंत्रियों और अधिकारियों के बीच लॉबिंग की थी। इसके बदले उन्हें उन कंपनियों से प्रति वर्ष एक लाख डॉलर की फीस मिली। इन कंपनियों ने उन्हें अपना सलाहकार बनाया था।

ब्रिटेन में सांसदों को कंसल्टेंट बनने की इजाजत है। लेकिन आयोग ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि पैटरसन को जो फीस मिली, वह सिर्फ कंसल्टेंसी के लिए नहीं थी। बल्कि वह लॉबिंग के लिए थी।

उनकी लॉबिंग की वजह से रैनडॉक्स नाम की कंपनी को कोरोना जांच के लिए 13 करोड़ 30 लाख पाउंड का सरकारी ठेका मिला। इस आधिकारिक संस्था की रिपोर्ट में सिफारिश की गई है कि पैटरसन को दंड के रूप में 30 दिन के लिए संसद से निलंबित कर दिया जाए।

इस सिफारिश में संसद में मतदान कराया गया। इसमें सिफारिश ठुकरा दी गई। उसके बाद पैटरसन ने बीबीसी से बातचीत में कहा कि वे इस निर्णय के लिए ‘प्रधानमंत्री के आभारी’ हैं। लेकिन भ्रष्टाचार के मामले में संसद में दलगत आधार पर मतदान करने के लिए देश में सत्ताधारी कंजरवेटिव पार्टी की कड़ी आलोचना हुई है। अखबार डेली मेल ने कहा कि सत्ताधारी दल के सांसद भ्रष्टाचार में आकंठ डूब गए हैं। विपक्ष के नेता कियर स्टार्मर ने द गार्जियन अखबार में एक लेख लिख कर कंजरवेटिव पार्टी पर भ्रष्ट होने का इल्जाम लगाया।

इससे बने दबाव के बीच पैटरसन ने इस्तीफा दे दिया। इस बारे में यूनिवर्सिटी ऑफ मैनचेस्टर में राजनीति विज्ञान के प्रोफेसर रॉब फॉर्ड ने टीवी चैनल फ्रांस-24 से कहा कि पैटरसन के इस्तीफे का कारण उन पर बाहरी स्रोतों से पड़ा दबाव हो सकता है। उन्होंने कहा- ‘कई सांसदों ने कहा है कि उनसे उनके चुनाव क्षेत्र के लोग संपर्क कर इस मामले में नाराजगी जता रहे थे। हम यह जानते हैं कि ब्रिटेन के लोग अपने राजनेताओं के भ्रष्टाचार को पसंद नहीं करते।’

मीडिया रिपोर्टों में कहा गया है कि हाल की घटनाओं से प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन की छवि धूमिल हुई है। 2019 में भारी बहुत से सत्ता में आने के बाद ही उनकी सरकार को कई घोटालों का सामना करना पड़ा है। विश्लेषकों का कहना है कि इन मामलों से उन्हें अभी तक ज्यादा सियासी नुकसान नहीं हुआ है, लेकिन आगे उनकी पार्टी को मतदाताओं की नाराजगी झेलनी पड़ सकती है।

 

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