पाकिस्तान-ईरान से निकाले गए अफगानों को तालिबान ने दी यातनाएं, मारने की धमकी भी दी

तालिबान सरकार एक बार फिर अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठनों के निशाने पर आ गई है। संयुक्त राष्ट्र की एक नई रिपोर्ट में दावा किया गया है कि पाकिस्तान और ईरान से जबरन निकाले गए कई अफगान नागरिकों को तालिबान ने यातनाएं दीं, धमकाया और मनमाने ढंग से हिरासत में लिया। यह रिपोर्ट ऐसे समय आई है जब पाकिस्तान और ईरान लाखों अफगानों को यह कहकर देश से निकाल रहे हैं कि वे अवैध रूप से रह रहे थे।

संयुक्त राष्ट्र मिशन की रिपोर्ट के मुताबिक, अफगानिस्तान लौटे कई लोग तालिबान के हाथों गंभीर मानवाधिकार उल्लंघन का शिकार हुए। इनमें वे लोग शामिल हैं जो पहले पश्चिम समर्थित सरकार के लिए काम कर चुके थे या ऐसे पेशे से जुड़े थे जो तालिबान की नजरों में संदेहास्पद हैं। कुछ लोगों को जान से मारने की धमकियां मिलीं, तो कई को गुमनाम रहकर जिंदगी बितानी पड़ रही है।

शारीरिक यातनाओं का दर्दनाक ब्यौरा
रिपोर्ट में एक पूर्व सरकारी अधिकारी का बयान शामिल है, जिसने बताया कि 2023 में लौटने पर उसे बुरी तरह पीटा गया, पानी में डुबोया गया और नकली फांसी की धमकी दी गई। एक अन्य गैर-बाइनरी व्यक्ति ने कहा कि उसे बंदूक की बट से पीटा गया। ये घटनाएं दिखाती हैं कि तालिबान के दावों के उलट, लौटने वाले अफगानों के साथ सख्ती बरती जा रही है।

महिलाओं-लड़कियों की स्थिति भयावह
संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार प्रमुख वोल्कर तुर्क ने कहा कि किसी को भी ऐसे देश में नहीं भेजा जाना चाहिए जहां उन्हें उनकी पहचान या इतिहास के कारण उत्पीड़न का सामना करना पड़े। उन्होंने अफगान महिलाओं और लड़कियों की स्थिति को विशेष रूप से चिंताजनक बताया, जिन पर तालिबान की सख्त पाबंदियां हैं। जैसे स्कूल बंद, काम करने पर रोक और सार्वजनिक जगहों पर जाने पर प्रतिबंध।

तालिबान की सफाई और यूएन से अपील
तालिबान प्रशासन ने इन आरोपों से इनकार किया है। उन्होंने कहा कि लौटने वालों को दस्तावेज, परिवहन और कानूनी सहायता दी जा रही है। साथ ही, तालिबान ने संयुक्त राष्ट्र से अपील की कि वह जबरन निष्कासन को रोके और अफगान शरणार्थियों को खाना, दवा, शिक्षा और आश्रय जैसी मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराए।

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