वैश्विक व्यापार को नई दिशा देगा भारत-ब्रिटेन के बीच हुआ समझौता, जेम्स-ज्वेलरी का निर्यात बढ़ेगा

भारत और यूनाइटेड किंडम (यूके) ने गुरुवार को एक ऐतिहासिक मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) पर हस्ताक्षर किए है। इससे दोनों देशों के बीच व्यापारिक संबंधों में नया अध्याय जुड़ गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और ब्रिटिश प्रधानमंत्री कीर स्टारमर की उपस्थिति में इस समझौते को औपचारिक रूप दिया गया। भारत और यूके के बीच एफटीए का स्वागत करते हुए उद्योग जगत ने कहा कि इससे व्यापार बाधाओं में कमी आने, निवेशकों का विश्वास बढ़ने और संयुक्त उद्यमों व प्रौद्यौगिकी हस्तांतरण को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है। यह समझौता भारत और यूके के व्यापार को ही नहीं विश्व व्यापार को नई दिशा देगा, तब जब अमेरिकी टैरिफ को लेकर इतना उतार-चढ़ाव देखा जा रहा है।

 

भारतीय उद्योग एफटीए का उत्साह से कर रहा स्वागत – मित्तल
प्रधानमंत्री के साथ गए प्रतिनिधिमंडल में भारतीय उद्योग जगत के 16 प्रमुख व्यापारिक नेता शामिल थे। इनका नेतृत्व भारतीय एंटरप्राइजेज के संस्थापक एवं अध्यक्ष और भारत-ब्रिटेन सीईओ फोरम के सह अध्यक्ष सुनील मित्तल कर रहे थे। इस पर बोलते हुए मित्तल ने कहा कि सभी क्षेत्रों के भारतीय उद्योग भारत-यूके एफटीए का उत्साह के साथ स्वागत कर रहे हैं। यह समझौता एक आधुनिक, दूरदर्शी साझेदारी स्थापित करता है। यह नवाचार को प्रोत्साहित करेगा, बाजार पहुंच को आसाना बनाएगा और निवेशक को बढ़ावा देगा। उन्होंने कहा कि भारत और ब्रिटेन दोनों के व्यवसायों को इससे बहुत लाभ होगा क्योंकि यह प्रमुख विकास क्षेत्रों में द्विपक्षीय सहयोग को आगे बढ़ाने की नींव को रखता है।

यह एफटीए अगली पीढ़ी की साझेदारियों के लिए मजबूत आधार
भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई ) के महानिदेशक चंद्रजीत बनर्जी ने कहा सीआईआई लंबे समय से एक व्यापक और दूरदर्शी भारत-यूके मुक्त व्यापार समझौता का समर्थक रहा है। यह एफटीए हमारे द्विपक्षीय संबंधों में एक निर्णायक क्षण है, जो समावेशी विकास, आर्थिक लचीलेपन और औद्योगिक परिवर्तन के प्रति साझा प्रतिबद्धता को दिखाता है। यह भारतीय और ब्रिटिश व्यवसायों के बीच गहन बाजार पहुंच, नियामक सहयोग और अगली पीढ़ी की साझेदारियों के लिए मजबूत आधार तैयार करता है।

भारत ने ब्रिटने के साथ सकारात्मक व्यापार संतुलन बनाए रखा
सीआईआई के अनुसार पिछले पांच वर्षों में भारत ने ब्रिटेन के साथ एक सकारात्मक व्यापार संतुलन को बनाए रखा है, जो प्रमुख व्यापारिक साझेदार बना हुआ है। दोनों अर्थव्यवस्थाओं का लक्ष्य 2030 तक द्विपक्षीय व्यापार दोगुना करके 120 अरब डॉलर तक पहुंचाना है। वर्तमान समय में 970 से अधिक भारतीय कंपनियां ब्रिटेन में कार्यरत हैं, जे कॉपोरेटे कर में लगभग 1.17 अरब पाउंड का योगदान देती है और लगभग 11 लाख लोगों को रोजगार प्रदान करती हैं। यह स्थानीय अर्थव्यवस्थाओं और आजीविका को सहारा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं।

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