मछुआरों की नाव पर इसरो का GPS, नारायणन बोले- अब सही जगह जाकर पकड़ रहे मछली, हो रहा करोड़ों का मुनाफा

तिरुवनंतपुरम: इसरो (आईएसआरओ) के चेयरमैन वी नारायणन ने नदी में मछुआरों को मिलने वाली राहत पर बातचीत की। इस दौरान उन्होंने कहा कि अब देश के मछुआरों की मदद के लिए नावों में देशी जीपीएस सिस्टम लगाना शुरू किया गया है। इससे मछुआरों को मछली पकड़ने के लिए सही जगह आसानी से मिल जाती है। उन्होंने कहा कि पहले मछुआरे बिना मछली पकड़े वापस आ जाते थे, लेकिन अब उपग्रह की मदद से उन्हें हर दिन संभावित मछली पकड़ने वाले क्षेत्र के बारे में जानकारी मिलती है। इससे मछुआरों को बहुत फायदा हो रहा है।
मछुआरें कर रहे कम ईंधन का इस्तेमाल
नारायणन ने आगे बताया कि इस जीपीएस सिस्टम की मदद से मछुआरे कम ईंधन खर्च करते हैं क्योंकि उन्हें पता होता है कि मछली पकड़ने की सही जगह कहां है। इससे उन्हें जल्दी मछली मिल जाती है और वे ज्यादा मुनाफा कमा पाते हैं। इस सिस्टम से सालाना लगभग 30,000 करोड़ रुपये का फायदा होने का अनुमान है।
जीपीएस से पता चल जाता है नाव की सही जगह- नारायणन
साथ ही, इस जीपीएस से मछुआरों को उनकी नाव की सही जगह का पता चलता है। इससे वे अपने देश के जल क्षेत्र में रहते हैं और गलती से दूसरे देशों के पानी में नहीं चले जाते। इससे विवादों और खतरे से बचा जा सकता है। तमिलनाडु में इस जीपीएस सिस्टम को अब तक 1000 से ज्यादा मछुआरों को दिया गया है, ताकि वे इसका इस्तेमाल करके देख सकें कि ये कितना मददगार है।
ISRO के PSLV-C61/EOS-09 मिशन की असफलता पर भी बोले
इसके अलावा वी नारायणन ने इसरो के PSLV-C61/EOS-09 रॉकेट मिशन की असफलता पर भी बातें की। उन्होंने कहा कि PSLV-C61/EOS-09 रॉकेट मिशन जो खराबी आई थी, उसकी भी जांच चल रही है। इस मामले में एक राष्ट्रीय स्तर की जांच समिति बनाई गई है। वे पूरी जानकारी का अध्ययन कर रहे हैं और जल्द ही अपनी रिपोर्ट प्रधानमंत्री को सौंपेंगे।
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