योगी सरकार साढ़े चार वर्ष पहले कवाल कांड को लेकर नंगला मंदौड़ में हुई महापंचायत में भड़काऊ भाषण देने के आरोप में भाजपा नेताओं के खिलाफ दर्ज मुकदमों को वापस लेने की तैयारी में है।
इस संबंध में शासन ने जिला प्रशासन से भाजपा नेताओं के खिलाफ दर्ज हुए नौ मुकदमों की स्टेटस रिपोर्ट मांगी है और पूछा है कि नेताओं पर दर्ज मुकदमों की क्या स्थिति है। क्या ये मुकदमे वापस लिए जा सकते हैं। जल्द ही प्रशासन की ओर से इस संबंध में शासन को रिपोर्ट भेजी जानी है।
जिले में 27 अगस्त 2013 को जानसठ थाना क्षेत्र के गांव कवाल में शाहनवाज की मौत के बाद मलिकपुरा के ममेरे भाइयों सचिन और गौरव की हत्या कर दी गई थी। अगले दिन कवाल गांव में आगजनी हुई थी, जिसके विरोध में मुस्लिमों ने शहर के खालापार में एकत्र होकर तत्कालीन डीएम और एसएसपी को ज्ञापन दिया था।
इसके विरोध में हिंदू संगठनों ने 31 अगस्त 2013 को नंगला मंदौड़ में पंचायत की थी। बाद में 7 सितंबर 2013 को नंगला मंदौड़ में फिर से महापंचायत हुई। महापंचायत खत्म होने के बाद जिले में दंगा भड़क गया था।
तत्कालीन सपा सरकार के आदेश पर जिला प्रशासन ने सिखेड़ा थाने पर पंचायतों में भाग लेने वाले भाजपा नेताओं थानाभवन के विधायक एवं राज्यमंत्री सुरेश राणा, सरधना विधायक संगीत सोम, पूर्व मंत्री एवं सांसद डॉ संजीव बालियान, बिजनौर सांसद भारतेंद्र सिंह, विधायक उमेश मलिक, साध्वी प्राची, पूर्व प्रमुख वीरेंद्र सिंह, श्यामपाल चेयरमैन, जयप्रकाश शास्त्री, राजेश्वर आर्य, मोनू, सचिन आदि के खिलाफ पाबंदी के बावजूद पंचायत करने, भड़काऊ भाषण देने के आरोप में दो मुकदमे दर्ज कराए गए थे, जो वर्तमान में कोर्ट में विचाराधीन हैं। इसके अलावा बुढ़ाना विधायक उमेश मलिक के खिलाफ भी दंगे से पहले और बाद के सात मुकदमे शाहपुर, फुगाना थानों में दर्ज हैं।
इस संबंध में विशेष सचिव न्याय राज सिंह ने जिला प्रशासन को पत्र भेजा है, जिसमें भाजपा नेताओं के खिलाफ दर्ज नौ मुकदमों की वर्तमान स्थिति की जानकारी के अलावा यह भी पूछा गया है कि क्या ये मुकदमे वापस हो सकते हैं।
प्रशासनिक अधिकारी शासन का पत्र आने से इंकार कर रहे हैं। एडीएम प्रशासन हरीशचंद का कहना है कि उन्हें अभी ऐसा कोई शासन का पत्र नहीं मिला है, मिलेगा तो उसका जवाब दिया जाएगा।
उधर, जिला शासकीय अधिवक्ता दुष्यंत त्यागी ने शासन का पत्र मिलने की पुष्टि की है। उन्होंने बताया कि शासन ने दंगों के संबंध में मुकदमों के बारे में जानकारी मांगी है। न्यायिक अधिकारियों से विचार-विमर्श के बाद जवाब जिला प्रशासन के माध्यम से भेजा जाएगा।