‘हाईवे पर अचानक ब्रेक लगाना लापरवाही माना जाएगा’, सड़क हादसों पर सुप्रीम कोर्ट का अहम फैसला

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम फैसले में कहा है कि हाईवे पर बिना कोई चेतावनी दिए अचानक ब्रेक लगाना लापरवाही मानी जाएगी। कोर्ट ने कहा कि इस तरह की हरकत से अगर हादसा होता है, तो कार चालक जिम्मेदार ठहराया जा सकता है। जस्टिस सुधांशु धूलिया और जस्टिस अरविंद कुमार की पीठ ने मंगलवार को यह टिप्पणी की। जस्टिस धूलिया ने कहा, ‘हाईवे पर तेज रफ्तार में गाड़ियां चलती हैं और अगर कोई चालक अपनी गाड़ी रोकना चाहता है, तो उसे पीछे आ रही गाड़ियों को संकेत देना जरूरी होता है।’
क्या था मामला?
यह मामला तमिलनाडु के कोयंबटूर में 7 जनवरी 2017 को हुई एक दुर्घटना से जुड़ा है। इंजीनियरिंग छात्र एस मोहम्मद हकीम अपनी बाइक से जा रहे थे, तभी एक कार चालक ने अचानक ब्रेक लगा दिया। इस दौरान हकीम की बाइक कार से टकरा गई और वो सड़क पर गिर पड़ा। इसी दौरान उसी वक्त पीछे से आ रही एक बस ने उन्हें कुचल दिया, जिसके बाद इलाज के दौरान उनका बायां पैर काटना पड़ा। मामले की सुनवाई के दौरान कार चालक ने कोर्ट में कहा कि उसने इसलिए ब्रेक लगाए क्योंकि उसकी गर्भवती पत्नी को उल्टी जैसा महसूस हो रहा था। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इस दलील को नामंजूर कर दिया।
कोर्ट ने दलील पर क्या कहा?
इस दौरान कोर्ट ने कहा, ‘कार चालक की तरफ से दी गई सफाई किसी भी नजरिए से उचित नहीं है। अगर कोई आपात स्थिति थी भी, तब भी बीच हाईवे पर अचानक ब्रेक लगाना खतरनाक और गैर-जिम्मेदाराना है।’
सुप्रीम कोर्ट ने जिम्मेदारी का किया बंटवारा
सुप्रीम कोर्ट ने दुर्घटना के लिए तीनों पक्षों को जिम्मेदार माना और कहा कार चालक की 50% जिम्मेदारी है और बस चालक की 30% जिम्मेदारी है। इसके साथ ही बाइक सवार हकीम की 20% योगदानात्मक लापरवाही है। कोर्ट ने माना कि हकीम के पास वैध ड्राइविंग लाइसेंस नहीं था और उन्होंने कार से पर्याप्त दूरी नहीं बनाई थी, जो कि उनकी लापरवाही थी।