नगर निगम में हुआ 13.46 करोड़ का घपला, पढ़े पूरी खबर

कूड़ा प्रबंधन के नाम पर लखनऊ नगर निगम में 13.46 करोड़ का घपला हुआ है। कूड़ा उठाने वाली गाड़ियों में 5.31 करोड़ रुपए का अतिरिक्त डीजल खर्च दिखाया गया। कूड़ा उठाने वाली कंपनी को 6.90 करोड़ रुपए का अतिरिक्त भुगतान कर दिया गया। सीएजी ने जांच में यह घपला पकड़ा है।

कूड़ा निस्तारण में नगर निगम में लगातार घपला हो रहा है। इसी वजह से शहर से कचरा नहीं साफ हो पा रहा है। आम नागरिकों के साथ खुद बीजेपी पार्षदों को भी धरने पर बैठना पड़ रहा है।

स्थिति यह है कि घर-घर से कूड़ा उठाने वाली कंपनी काम नहीं कर पा रही है। लेकिन उसे करोड़ों का भुगतान किया जा रहा है। इसमें कमीशनबाजी हो रही है। जिसमें नगर निगम के ऊपर से लेकर नीचे तक के अधिकारी कर्मचारी शामिल हैं। सीएजी ने भी कूड़ा प्रबंधन में घपला पकड़ा है। उसने शासन को पूरी रिपोर्ट सौंपी है। अब इस मामले में शासन ने नगर निगम से पूरी रिपोर्ट मांगी है।

कूड़ा उठाने वाले वाहनों में डीजल के नाम पर घपला किया गया। ऑडिट में सीएजी को पता चला कि नगर निगम में जितने वाहन हैं तथा उनमें ईंधन के जो मापदंड निर्धारित हैं उससे ज्यादा का डीजल खर्च दिखाया गया है।

यही नहीं कूड़ा उठाने में लगे वाहनों द्वारा तय की गई वास्तविक दूरी के सापेक्ष भी काफी ज्यादा डीजल खर्च दिखाया गया। कूड़ा उठाने वाली गाड़ियों के प्रतिदिन चलने की दूरी तथा स्वीकृत मानक से 5.31 करोड़ रुपए का अधिक तेल खर्च किया गया। अब मामले में सचिव नगर विकास ने नगर निगम से पूरी रिपोर्ट मांगी है।

सीएजी ने अपनी रिपोर्ट में कूड़ा प्रबंधन के लिए कंपनी को अनुचित भुगतान करने की बात लिखी है। जांच में उसने लिखा है कि कूड़ा प्रबंधन के निष्पादन की प्रक्रिया गलत थी। त्रुटिपूर्ण प्रक्रिया अपनाकर कंपनी को टिपिंग फीस के रूप में अनुचित तरीके से 6.90 करोड़ रुपए का भुगतान किया गया। नगर निगम के अफसरों के इसमें भी कमीशन बाजी की बात सामने आई है। इसके अलावा कूड़ा प्रबंधन के काम में लगी कंपनी को 2.06 करोड़ रुपए का अधिक भुगतान भी किया गया। जो बड़े घपले की तरफ इशारा कर रहा है।

कूड़ा निस्तारण के काम में लगी कंपनी को यूजर चार्ज वसूलने की जिम्मेदारी दी गई थी। उसने 9.86 करोड़ रुपए कम वसूल किए। नियमानुसार कंपनी पर दंडात्मक कार्रवाई होनी थी। उसके बिलों से कटौती की जानी थी। लेकिन अधिकारियों ने कंपनी को लाभ पहुंचाने के लिए उसके बिलों से कोई कटौती नहीं की। कटौती न करके नगर निगम अधिकारियों ने कंपनी को 1.25 करोड़ रुपए का फायदा पहुंचाया।

नगर आयुक्त अजय द्विवेदी ने बताया कि सीएजी की ऑडिट रिपोर्ट के मामले में सचिव नगर विकास ने नगर निगम से रिपोर्ट मांगी थी। उन्हें मामले में जवाब भेज दिया गया है। नगर निगम ने अपनी स्थिति के बारे में शासन को बता दिया है। इसमें किसी तरह का कोई भी घपला नहीं हुआ है।

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