कचरे से पैसा कमाएगी सरकार, सर्कुलर इकोनॉमी में मिलेंगी हजारों नौकरियां

नई दिल्ली:शहर से प्रतिदिन निकलने वाला हजारों टन कूड़ा दिल्ली के लिए सबसे बड़ी समस्या हुआ करता था, लेकिन अब यही कूड़ा दिल्ली के लिए एक वरदान साबित हो सकता है। दिल्ली सरकार ने कूड़े का पुनर्चक्रीकरण कर पैसा कमाने की खास योजना बनाई है। इस योजना के अंतर्गत कूड़े के पुनर्चक्रीकरण से न केवल दिल्ली का कूड़ा साफ होगा, बल्कि इस सेक्टर में हजारों युवाओं को नौकरियां भी मिलेंगी। दुनिया के अनेक विकसित देशों में यह मॉडल सफलतापूर्वक चलाया जा रहा है। अब इसे दिल्ली में लागू किया जाएगा। यह अत्याधुनिक ई-वेस्ट इको पार्क दिल्ली के होलंबी कलां में 11.4 एकड़ एरिया में विकसित किया जाएगा। सरकार ने इसके लिए ग्लोबल टेंडर जारी करने का निर्णय लिया है।

जानकारी के अनुसार, इस ई-वेस्ट पार्क में दिल्ली से निकलने वाले लगभग 106 प्रकार के कचरे का पुनर्चक्रीकरण किया जाएगा। इसके लिए अत्याधुनिक स्तर की तकनीकी का उपयोग किया जाएगा। इस सेक्टर की सर्वश्रेष्ठ तकनीकी का उपयोग करने के लिए सरकार ने ग्लोबल टेंडर जारी किया है जिससे इस सेक्टर की दक्ष कंपनियां इसमें हिस्सा ले सकें। पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा की अध्यक्षता में हुई उच्चस्तरीय बैठक में DSIIDC को ग्लोबल टेंडर (RFQ-cum-RFP) जारी करने का निर्देश दिया गया है।

यह पार्क हर साल 51,000 मीट्रिक टन ई-वेस्ट का प्रोसेसिंग करेगा, जिसमें ई-वेस्ट मैनेजमेंट नियम 2022 के तहत सूचीबद्ध सभी 106 श्रेणियाँ शामिल होंगी। इससे अनुमानित ₹350 करोड़ का वार्षिक राजस्व उत्पन्न होने की संभावना है। इस पार्क का निर्माण कार्य 18 महीनों में पूरा करने का लक्ष्य है। पूरी तरह से चालू होने के बाद यह इको पार्क अगले पांच वर्षों में दिल्ली के कुल ई-वेस्ट का लगभग 25% प्रोसेस करेगा। बाद में इसकी क्षमता बढ़ाए जाने पर भी विचार किया जा सकता है।

इको पार्क में डिस्मेंटलिंग, रिफर्बिशिंग, कंपोनेंट टेस्टिंग, प्लास्टिक रिकवरी और सेकंड हैंड इलेक्ट्रॉनिक्स मार्केट के लिए अलग-अलग ज़ोन भी होंगे। इसके साथ ही असंगठित क्षेत्र के हज़ारों कामगारों को औपचारिक रूप से प्रशिक्षित करने हेतु स्किलिंग व ट्रेनिंग सेंटर भी स्थापित किए जाएंगे। इससे हजारों लोगों को रोजगार मिलने की संभावना है।

ई-वेस्ट की समस्या
भारत विश्व का तीसरा सबसे बड़ा ई-वेस्ट उत्पादक देश है, जहाँ हर साल 16 लाख मीट्रिक टन से अधिक ई-वेस्ट उत्पन्न होता है। इसकी वृद्धि दर 23% प्रतिवर्ष है। दिल्ली अकेले देश के कुल ई-वेस्ट में लगभग 9.5% का योगदान करती है। वैश्विक स्तर पर केवल 17.4% ई-वेस्ट ही पुनःप्रक्रिया (रिसायकल) किया जाता है, जिससे लगभग 57 बिलियन डॉलर मूल्य के तांबा, लिथियम व अन्य दुर्लभ धातुएं नष्ट हो जाती हैं।

Related Articles

Back to top button