‘राज्यों के बीच सहमति बनाना सबसे बड़ी चुनौती’, नदी जोड़ो परियोजना पर राज्यसभा में केंद्र का जवाब

नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने माना है कि भारत में नदी जोड़ो (इंटरलिंकिंग ऑफ रिवर्स- आईएलआर) परियोजनाओं को आगे बढ़ाने में सबसे बड़ी बाधा राज्यों के बीच आपसी सहमति बनाना है। इसके पीछे सबसे बड़ा कारण है राज्यों की पानी बांटने को लेकर आशंकाएं। राज्यसभा में लिखित जवाब देते हुए जल शक्ति मंत्रालय में राज्य मंत्री राज भूषण चौधरी ने बताया कि नदी जोड़ो परियोजनाओं की सफलता पूरी तरह इस बात पर निर्भर करती है कि संबंधित राज्य आपस में सहमत होते हैं या नहीं। मंत्री ने कहा ‘राज्यों के बीच सहमति बनाना सबसे बड़ी चुनौती है क्योंकि उन्हें पानी के बंटवारे को लेकर आपत्तियां हैं।’
30 में से पांच प्रमुख परियोजनाओं को प्राथमिकता
राष्ट्रीय दृष्टिकोण योजना के तहत 30 नदी जोड़ो योजनाएं प्रस्तावित हैं, जिनमें से 5 परियोजनाओं को प्राथमिकता दी गई है। इन प्रमुख योजनाओं में सबसे आगे है केन-बेतवा लिंक परियोजना (केबीएलपी), जो वर्तमान में कार्यान्वयन की स्थिति में है।
क्या है केन-बेतवा लिंक परियोजना?
इसकी अनुमानित लागत ₹44,605 करोड़ रुपये है, जिससे मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश में सिंचाई सुविधा करीब 10.6 लाख हेक्टेयर भूमि तक पहुंचेगी। वहीं इसकी मदद से करीब 62 लाख लोग पेयजल का लाभ उठा पाएंगे। जबकि ऊर्जा उत्पादन की बात करें, तो इससे 103 मेगावाट हाइड्रोपावर और 27 मेगावाट सोलर ऊर्जा पैदा होगी। इस परियोजना के मार्च 2030 पूरे होने का लक्ष्य रखा गया है।