डायबिटीज रोगियों में लिवर कैंसर का खतरा अधिक, इन लक्षणों से कर सकते हैं पहचान

लिवर से संबंधित वैश्विक समस्याओं को लेकर लोगों को जागरूक करने और इससे बचाव को लेकर शिक्षित करने के उद्देश्य से हर साल 19 अप्रैल को विश्व लिवर दिवस मनाया जाता है। स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, लिवर में होने वाला कैंसर पिछले एक दशक में काफी तेजी से बढ़ा है, इससे बचाव को लेकर सभी लोगों को निरंतर प्रयास करते रहना चाहिए।

लिवर में होने वाला कैंसर

लिवर कैंसर, लिवर की कोशिकाओं में शुरू होता है। लिवर कैंसर का सबसे आम प्रकार हेपेटोसेलुलर कार्सिनोमा है, जो मुख्य प्रकार की लिवर कोशिका (हेपेटोसाइट) में होता है।

अध्ययनकर्ताओं ने बताया, लिवर कोशिकाओं के डीएनए में परिवर्तन के कारण इसमें कैंसर हो सकता है। क्रोनिक हेपेटाइटिस संक्रमण या लिवर में लंबे समय से बनी हुई कुछ प्रकार की बीमारियों के कारण भी कैंसर विकसित होने का खतरा रहता है। लेकिन कभी-कभी लिवर कैंसर उन लोगों में भी हो सकता है जिन्हें कोई अंतर्निहित बीमारी नहीं होती।

क्या है लिवर कैंसर की पहचान?

अधिकांश लोगों में प्राथमिक स्थिति में लिवर कैंसर के कोई संकेत या लक्षण नहीं होते हैं। आपको पाचन से संबंधित कुछ समस्याएं जरूर होती रह सकती है हालांकि जैसे-जैसे कैंसर कोशिकाएं बढ़ती जाती हैं इसके लक्षण अधिक स्पष्ट होने लगते हैं। बिना प्रयास के वजन कम होना, भूख न लगना, पेट में दर्द, मतली और उल्टी, कमजोरी और थकान बने रहना, पीलिया की समस्या बार-बार होते रहना भी लिवर कैंसर का शुरुआती संकेत माना जाता है।

किन लोगों में इसका खतरा अधिक

स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं जिन लोगों को हेपेटाइटिस-बी या हेपेटाइटिस सी वायरस का दीर्घकालिक संक्रमण रहा है उनमें लिवर कैंसर का खतरा बढ़ जाता है। सिरोसिस जैसी बीमारियां भी इसके जोखिमों को बढ़ाने वाली हो सकती हैं। इसके अलावा बार-बार फैटी लिवर की समस्या होते रहना, शराब का सेवन भी आपको लिवर कैंसर का शिकार बना सकता है। अध्ययनकर्ताओं ने बताया कि जिन लोगों को डायबिटीज है उन्हें और भी सावधानी बरतने की आवश्यकता है, ऐसे लोगों में लिवर के कैंसर का खतरा समय के साथ बढ़ सकता है।

डायबिटीज रोगियों में कैंसर

अध्ययन से पता चलता है कि टाइप 1 और टाइप-2 दोनों प्रकार के डायबिटीज रोगियों में लिवर कैंसर विकसित होने का जोखिम अधिक हो सकता है। ऐसे लोगों में, बिना मधुमेह वाले लोगों की तुलना में कैंसर का खतरा दो से तीन गुना अधिक देखा गया है। यदि मधुमेह ठीक से नियंत्रित नहीं रहता है तो जोखिम और भी बढ़ जाता है।

हाई ब्लड शुगर की स्थिति में शरीर में कोशिकाओं को ईंधन देने के लिए आवश्यकता से अधिक ग्लूकोज हो जाता है। अतिरिक्त ग्लूकोज के ऑक्सीकरण के दौरान हानिकारक रसायन और फ्री रेडिकल्स रिलीज होते हैं जिससे लिवर कोशिकाओं में कैंसर विकसित होने का जोखिम अधिक बढ़ सकता है।

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