14 नवंबर को है देवउठनी एकादशी, भूलकर भी न खाएं ये चीजें

14 नवंबर को रविवार के दिन देवउठनी एकादशी (Dev Uthani Ekadashi) मनाई जाएगी. इसे सालभर की सबसे बड़ी एकादशी तिथि माना जाता है. मान्यता है कि इस दिन भगवान विष्णु 4 महीने की योग निद्रा को पूरा करके जागते हैं.

इस एकादशी को देवोत्थान एकादशी (Devutthana Ekadashi) और प्रबोधनी एकादशी (Prabodhini Ekadashi) भी कहा जाता है. देव के जागने की खुशी में उनके भक्त उनके स्वागत की तैयारियां कर​ते हैं.

विशेष पूजा पाठ किया जाता है. जो लोग पूरी साल एकादशी का व्रत नहीं रखते, वो भी इस दिन व्रत रखते हैं. माना जाता है कि देवउठनी एकादशी का व्रत रखने से व्यक्ति को सारी एकादशी का पुण्य प्राप्त हो जाता है. उसके पाप नष्ट हो जाते हैं और मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति होती है. लेकिन जो लोग ये व्रत नहीं रख सकते, उन्हें भी इस दिन कुछ नियमों का पालन करना जरूरी होता है, वरना व्यक्ति पाप का भागीदार बन सकता है.

इन 5 चीजों को नहीं खाना चाहिए

1. देवउठनी एकादशी के दिन चावल नहीं खाने चाहिए. मान्यता है कि चावल को हविष्य अन्न कहा जाता है. ये देवताओं का भोजन माना गया है. ऐसे में इस दिन चावल खाने से व्यक्ति के सारे पुण्य नष्ट हो जाते हैं.

2. एकादशी तिथि पर जौ, मसूर की दाल, बैंगन और सेमफली को खाना भी वर्जित माना जाता है. साथ ही भोजन में प्याज और लहसुन का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए.

3. एकादशी के दिन भगवान नारायण को पान अर्पित किया जाता है, ऐसे में व्यक्ति को पान नहीं खाना चाहिए.

4. इस दिन मांस, मदिरा और अन्य तीखी व मसालेदार चीजों का सेवन भी नहीं करना चाहिए. पूरी तरह सात्विक भोजन करना चाहिए.

5. देवउठनी एकादशी के दिन किसी दूसरे के घर का भोजन नहीं करना चाहिए. यहां त​क कि दूसरे के घर का पानी भी नहीं पीना चाहिए.

इन बातों का ध्यान रखना जरूरी

 दशमी के दिन ही सूर्यास्त से पहले घर में झाड़ू लगा लें. एकादशी के दिन ​झाड़ू लगाने से परहेज करें क्योंकि झाड़ू लगाते समय भूलवश कई सूक्ष्म जीव मर जाते हैं. इसका पाप लगता है.

 बाल, दाढ़ी व नाखून आदि काटने से परहेज करें. साथ ही ब्रह्मचर्य का पालन जरूर करें.

 एकादशी की रात को देर तक जागरण करके भगवान के भजन कीर्तन करें. व्रत वाले दिन भी सोएं नहीं.

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