उत्तराखंड : बेरोजगारी और रोजगार बना सबसे बड़ा चुनावी मुद्दा, पढ़े पूरी खबर

उत्तराखंड में बेरोजगारी और रोजगार के कम मौके सबसे बड़ा चुनावी मुद्दा है। पर राजनीतिक दल और नेता केवल सरकारी नौकरियों की बात कर इस बड़ी समस्या से पीछा छुड़ाने की कोशिश करते नजर आ रह हैं।

रोजगार के नए मौके बढ़ाते हुए अच्छी आय वाली नौकरियों का सृजन राजनीतिक एजेंडे में कहीं नजर नहीं आ रहा है। यही कारण है कि राज्य का हर दसवां वोटर बेरोजगार है।

प्रदेश में 8 लाख 42 हजार बेरोजगार पंजीकृत हैं। जबकि पूरे राज्य में कुल 82 लाख वोटर हैं। इनमें से करीब 25 फीसदी मतदाता बुजुर्ग हैं। यदि इन वोटरों को हटा दिया जाए तो राज्य में बेरोजगार वोटरों का आंकड़ा इससे भी ऊपर निकल जाता है। सेंटर फॉर मॉनीटरिंग इंडियन इकोनॉमी (सीएमआईई) की रिपोर्ट भी राज्य में बेरोजगारी और रोजगार के कम मौके होने की तस्दीक कर रही है। प्रदेश में नौ फीसदी नौकरी योग्य ग्रेजुएट युवा बेरोजगार घूम रहे हैं।

शहरी इलाकों में 4.3 फीसदी जबकि ग्रामीण इलाकों में 4.0 फीसदी बेरोगारी की दर है। रोजगार एवं श्रम भागीदारी दर देश में सबसे कम : उत्तराखंड में रोजगार एवं श्रम भागीदारी दर देश में सबसे कम है। सीएमआईई के अनुसार दिसंबर तक उत्तराखंड में रोजगार दर 30.43 फीसदी थी। यह राष्ट्रीय औसत 37.42 फीसदी से काफी कम है और देश में सबसे नीचे है।

Related Articles

Back to top button