बेहद खास है हनुमान जी का ये मंदिर, यहां दर्शन के लिए पार करनी होती हैं 76 सीढ़ियां

भारत के तकरीबन हर राज्य में धार्मिक स्थल हैं। हर धार्मिक स्थल का अपना अलग इतिहास और मान्यता है। कई मंदिर तो ऐसे हैं, जहां लोग दूर-दूर से भगवान के दर्शन करने आते हैं। अब जब 23 अप्रैल को हनुमान जी का जन्मोत्सव मनाया जा रहा है, तो आप भी इस खास दिन हनुमान जी के दर्शन को जा सकते हैं। हर साल हनुमान जयंती चैत्र मास के दौरान शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को मनाई जाती है।

ऐसा कहा जाता है कि जो भी व्यक्ति इस दिन भगवान हनुमान की पूजा करता है, तो उसे मनचाहा वरदान प्राप्त होता है। ऐसे में अगर आप हनुमान जी के मंदिर में दर्शन को जाना चाहते हैं, तो अयोध्या में एक ऐसा खास मंदिर है, जहां की मान्यता काफी अलग है। हम बात कर रहे हैं अयोध्या में स्थित हनुमानगढ़ी की, जहां भगवान राम ने लंका से लौटने के बाद अपने प्रिय भक्त हनुमान जी को रहने का आदेश दिया था।

यहां स्थापित है हनुमान जी की खास मूर्ति

अयोध्या में स्थित श्रीराम जन्मभूमि के बारे में तो हर कोई जानता है, लेकिन बहुत से लोगों को हनुमानगढ़ी के इतिहास का नहीं पता है। दरअसल, ये वही जगह है, जहां भगवान राम ने लंका से लौटने के बाद हनुमान जी को रहने का आदेश दिया था। इसे हनुमान जी के खास मंदिरों में गिना जाता है। इस मंदिर में हनुमान जी की जो मूर्ति विरामान है, वो भी बेहद खास है। यहां हनुमान जी लाल रंग में विराजमान है। हनुमानगढ़ी मंदिर में एक खास ‘हनुमान निशान’ भी है।

जन्मभूमि जाने से पहले यहां जाना जरूरी

ऐसी मान्यता है कि जब भगवान श्रीराम ने हनुमान की जो ये जगह रहने के लिए दी थी, तो उन्होंने ये वचन भी दिया था, कि जो भी व्यक्ति अयोध्या आएगा, वो सबसे पहले आकर हनुमानगढ़ी के ही दर्शन करेगा। तब से लेकर आजतक हर कोई जन्मभूमि जाने से पहले हनुमानगढ़ी जरूर जाता है।

 

चढ़नी होती हैं 76 सीढ़ियां

बात करें यहां के मंदिर की रूपरेखा की तो यहां हनुमान जी के दर्शन के लिए आपको 76 सीढ़ियां चढ़नी पड़ेंगी। यहां जाकर आपको शांति का अनुभव होगा।

मंदिरों में दिखती है राम राज्य की छवि

इस मंदिर में जाते ही आपको रामराज्य की छवि देखने को मिलती है। यहां पर स्थित हनुमान जी की प्रतिमा हमेशा फूल- मालाओं से सुशोभित रहती है। इसके साथ ही हनुमानगढ़ी मंदिर की दीवारों में हनुमान चालीसा की चौपाइयां सुशोभित हैं। बहुत से लोग आज भी मंदिर परिसर में बैठकर ही राम नाम का सुमिरन और सुंदर कांड का पाठ भी किया करते हैं।

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