‘सबसे बड़ा सवाल रोहिंग्या शरणार्थी हैं या घुसपैठिए?’ सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान किया सवाल

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को कहा कि रोहिंग्याओं से जुड़े मामलों में सबसे पहला बड़ा मुद्दा यह है कि वे शरणार्थी हैं या अवैध रूप से प्रवेश करने वाले हैं। जस्टिस सूर्यकांत, जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस एन. कोटिश्वर सिंह की पीठ ने कहा कि जब यह तय हो जाएगा, तभी बाकी मुद्दों पर आगे बढ़ा जा सकता है। देश में रह रहे रोहिंग्याओं से जुड़े मामलों की याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान कोर्ट ने यह टिप्पणी की।
जस्टिस सूर्यकांत ने कहा, सबसे बड़ा मुद्दा बहुत सीधा है- क्या वे शरणार्थी हैं या अवैध रूप से भारत में घुसे हैं? पीठ ने कहा कि इस मामले में कई मुख्य बिंदु हैं, जिन्हें देखा जाना जरूरी है। कोर्ट ने पूछा- क्या रोहिंग्याओं को शरणार्थी घोषित किए जाने का अधिकार है? अगर हां, तो उन्हें कौन-कौन से संरक्षण, सुविधाएं और अधिकार मिलने चाहिए?
इसके बाद पीठ ने दूसरा मुद्दा उठाया- अगर रोहिंग्या शरणार्थी नहीं हैं और अवैध घुसपैठिए हैं, तो क्या केंद्र और राज्य सरकारों की ओर से उन्हें वापस भेजने की कार्रवाई उचित है? शीर्ष कोर्ट ने एक और सवाल उठाया- अगर उन्हें अवैध माना गया है, तो क्या उन्हें अनिश्चितकाल तक हिरासत में रखा जा सकता है या फिर कोर्ट की तय शर्तों के अनुसार जमानत पर रिहा किया जा सकता है?
इसके साथ ही कोर्ट ने यह भी मुद्दा उठाया कि जो रोहिंग्या हिरासत में नहीं हैं और शरणार्थी शिविरों में रह रहे हैं, उन्हें क्या पीने का पानी, सफाई और शिक्षा जैसी बुनियादी सुविधाएं मिल रही हैं? कोर्ट ने यह भी पूछा- अगर रोहिंग्या अवैध घुसपैठिए हैं, तो क्या भारत सरकार और राज्य सरकारें उन्हें कानून के मुताबिक वापस भेजने की जिम्मेदारी निभा रही हैं?
सुप्रीम कोर्ट ने इन याचिकाओं को तीन समूहों में बांटा- पहली श्रेणी रोहिंग्याओं से संबंधित याचिकाओं की, दूसरी जो उनसे संबंधित नहीं हैं और तीसरी एक अलग विषय से जुड़ी याचिका की। कोर्ट ने कहा कि इन तीन समूहों की हर बुधवार को अलग-अलग सुनवाई की जाएगी।
पीठ ने संकेत दिया कि अगर रोहिंग्या अवैध रूप से भारत में पाए जाते हैं और उन्हें वापस भेजने की जिम्मेदारी राज्य पर आती है, तो कोर्ट सिर्फ सैद्धांतिक मार्गदर्शन ही दे सकता है। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने यह भी पूछा कि ये सभी याचिकाएं एकसाथ क्यों नहीं सुनी जा रही हैं। याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वकीलों ने कहा कि इनमें कई मुद्दे एक जैसे हैं और एक मुख्य मुद्दा रोहिंग्याओं की अनिश्चितकालीन हिरासत से जुड़ा है।