जानिए कल काशी विश्वनाथ धाम का लोकार्पण करेंगे पीएम मोदी, पढ़े पूरी खबर

काशी विश्वनाथ धाम के लोकार्पण में कुछ ही घंटे शेष हैं। 250 वर्षों के बाद मंदिर परिसर के ऐतिहासिक विस्तार को अब भव्य रूप दिया जाने लगा है। परिकल्पना के ढाई वर्षों के अंदर 13 दिसंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी धाम आमजन को समर्पित करेंगे।

वह न केवल दर्शन-पूजन करेंगे बल्कि बाबा के भोग का प्रसाद भी ग्रहण करेंगे। इसके मद्देनजर शनिवार को उनके बैठने व भोजन के प्रबंध को लेकर जिला प्रशासन के अधिकारियों ने एसपीजी के साथ मंथन किया। प्रशासनिक सूत्रों के मुताबिक प्रधानमंत्री पंगत में बैठ कर भोजन करेंगे। उनके साथ राज्यपाल आनंदीबेन पटेल व मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी रहेंगे। कुछ गणमान्य लोग भी मौजूद हो सकते हैं।

प्रधानमंत्री के लिए प्रसाद में क्या-क्या आयटम होंगे रविवार तक तय कर लिया जाएगा। अधिकारियों के मुताबिक प्रधानमंत्री काशी विश्वनाथ धाम में सबसे पहले गर्भगृह में बाबा का दर्शन-पूजन करेंगे। इसके बाद संत, महात्मा व गणमान्य लोगों की मौजूदगी में रिमोट से बटन दबाकर धाम का लोकार्पण करेंगे। इसके बाद देशभर से पहुंचे संतों को संबोधित करेंगे फिर प्रसाद ग्रहण करेंगे।

काशी विश्वनाथ धाम रंग-बिरंगी झालरों, फसाड लाइटों व माला-फूल से सजाया जाने लगा है। इसके लिए चार टीमें लगायी गयी हैं। धाम निर्माण में शेष कार्यों को युद्धस्तर पर पूरा करने के लिए कर्मचारी व मजदूर लगे रहे।

एसपीजी की एक टीम शनिवार को दिनभर धाम में रही। टीम से सबसे पहले गंगा किनारे बचे कार्यों की प्रगति देखी। इसके बाद एक-एक भवन को परखा। मंदिर चौक व परिसर की व्यवस्थाएं जानी। दोपहर करीब 2 बजे गर्भगृह में एसपीजी ने दर्शन-पूजन का रिहर्सल कराया।

पीएम के तौर पर मंदिर न्यास के अपर मुख्य कार्यपालक अधिकारी को अर्चक श्रीकांत शर्मा ने दो ब्राह्मणों का नेतृत्व करते हुए 15 मिनट तक पूजन कराया। इसके बाद एसपीजी की टीम ने पूजन की विधि, प्रक्रिया, सामानों, ब्राह्मणों का नाम आदि का ब्योरा लिखा। बैठने के क्रम पर चर्चा की।

विश्वनाथ धाम में आदि शंकराचार्य, अहिल्याबाई, भारत माता और कार्तिकेय की प्रतिमाओं को शनिवार रात तक लगा दिया गया। भारत माता की प्रतिमा के साथ ही उनके पीछे नक्शा भी लगाया जाएगा। इसके लिए बकायदा विशेषज्ञों की टीम लगी रही। घाट से धाम जाते समय सबसे पहले कार्तिकेय, इसके बाद भारत माता और फिर अहिल्याबाई की प्रतिमा लगी है। अंत में आदिशंकराचार्य की प्रतिमा है।

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