डिजिटल लेनदेन के बावजूद 25 प्रतिशत बढ़ा नोट छापने का खर्च, 40% हिस्सेदारी के साथ सब पर भारी ‘500’ का नोट

नई दिल्ली:देश में डिजिटल लेनदेन तेजी से बढ़ रहा है। रेहड़ी पटरी से लेकर बड़े शोरूम और मॉल में डिजिटल लेनदेन हो रहा है। इसके बावजूद नोट छपाई का खर्च कम नहीं हो सका। वह बढ़ता ही जा रहा है। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की वर्ष 2024-25 की रिपोर्ट बताती है कि पिछले साल बैंक नोटों की छपाई के खर्च में वृद्धि दर्ज हुई है। इस खर्च में करीब 25 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। वित्त वर्ष 2024-25 में बैंक नोट की छपाई पर होने वाला खर्च 6,372.8 करोड़ रुपये पर पहुंच गया है।

भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा गुरुवार को जारी 2024-25 की वार्षिक रिपोर्ट में यह बात कही गई है। अगर वित्त वर्ष 2023-24 में बैंक नोट की छपाई पर होने वाले खर्च की बात करें तो वह 5,101.4 करोड़ रुपये था। अगले वर्ष यानी 2024-25 के दौरान, नोट छपाई का खर्च लगभग एक चौथाई बढ़ कर

6,372.8 करोड़ रुपये हो गया। आरबीआई की वार्षिक रिपोर्ट से पता चला है कि वित्त वर्ष 2024-25 में प्रचलन में रहे बैंक नोटों का मूल्य एवं मात्रा, दोनों ही बढ़ गए हैं। इनमें नोटों के मूल्य में 6 प्रतिशत और मात्रा में 5.6 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है।

रिपोर्ट के अनुसार, वित्तीय वर्ष ‘2024-25 में 500 रुपये के बैंक नोट की हिस्सेदारी 86 प्रतिशत रही है। इसमें मूल्य के हिसाब से मामूली गिरावट है, लेकिन मात्रा की दृष्टि से प्रचलन में रहे कुल बैंक नोटों में 500 रुपये के मूल्यवर्ग के नोट का बोलबाला रहा है। इसमें पांच सौ रुपये के नोट की सबसे ज्यादा हिस्सेदारी रही है। यह प्रतिशत करीब 40.9 प्रतिशत रहा है। दस रुपये के मूल्यवर्ग के नोट की हिस्सेदारी का प्रतिशत 16.4 रहा। कुल बैंक नोट में कम मूल्यवर्ग वाले बैंक नोट, यानी 10 रुपये, 20 रुपये और 50 रुपये की हिस्सेदारी 31.7 प्रतिशत रही है।

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