चीनी राजदूत बोले- बाजार की मांग पूरा करने में भारतीय कंपनियों की मदद को राजी, व्यापार घाटे पर भी बोले

चीन के नए दूत जू फीहोंग ने कहा कि चीनी बाजार सभी देशों के लिए खुला है। व्यापार घाटे के कारण चीनी बाजार में प्रवेश करने की सुविधा भारतीय कंपनियों को दी गई है। पूर्वी लद्दाख सैन्य गतिरोध पर द्विपक्षीय तनाव के बावजूद भारत-चीन व्यापार उच्च स्तर पर बना हुआ है। क्योंकि पिछले साल कुल व्यापार रिकॉर्ड 136.2 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंच गया, साथ ही भारत का व्यापार घाटा 99.2 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक बढ़ गया। हालांकि यह घाटा पिछले साल की तुलना में थोड़ा कम है।

चीन के दूत ने बताया कि इस समय चीनी बाजार भारत समेत सभी देशों के लिए खुला है। बीजिंग में व्यापार घाटा बढ़ने के कारण उसने सभी देशों की कंपनियों को निवेश के लिए प्रवेश की सुविधा दी है। उन्होंने बताया कि व्यापार घाटा भारत के लिए एक प्रमुख चिंता का विषय रहा है। 2023 में 136.2 बिलियन अमेरिकी डॉलर के समग्र द्विपक्षीय व्यापार में 99.2 बिलियन अमेरिकी डॉलर था। वहीं वर्ष 2022 में व्यापार घाटा पहली बार 101 बिलियन अमेरिकी डॉलर पहुंच गया था।

बता दें कि चीन पर अनाज के अलावा आईटी और फार्मा क्षेत्रों को खोलने के लिए दबाव भारत डालता रहा है, जो कि प्रमुख निर्यात संभावित क्षेत्र हैं। जू ने बीजिंग के बताया कि व्यापार अधिशेष की तलाश करना चीन का इरादा नहीं है। उन्होंने कहा कि “भारत के व्यापार घाटे के पीछे कई कारक हैं। चीन भारत की चिंता को समझता है, व्यापार अधिशेष की तलाश करना हमारा उद्देश्य कभी नहीं है।

चीनी बाज़ार भारत सहित सभी देशों के लिए खुला है। हमने भारतीय उत्पादों को खरीदने के लिए कई व्यापार संवर्धन प्रतिनिधिमंडलों को भारत भेजा है। उन्होंने यह भी कहा कि हम अधिक विपणन योग्य भारतीय उत्पादों को चीनी बाजार में प्रवेश करते देखना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि हम चीन अंतर्राष्ट्रीय आयात एक्सपो, चीन-दक्षिण एशिया एक्सपो, कैंटन फेयर और अन्य प्लेटफार्मों पर भारत की भागीदारी के लिए अधिक सुविधा प्रदान करने के लिए तैयार हैं। यही नहीं चीन भारतीय कंपनियों को चीन के बाजार मांगों को पूरा करने साथ ही साथ वाणिज्यिक और व्यापार सहयोग की संभावनाओं का दोहन करने में भी मदद करने को तैयार है।

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