60 पर्यावरण समूह बोले-सुरक्षित करें हिमालय, सभी मेगा बुनियादी ढांचा परियोजनाओं पर लगे प्रतिबंध

देश के 60 से अधिक पर्यावरण और सामाजिक संगठनों ने हिमालय में रेलवे, बांध, जलविद्युत परियोजनाओं तथा चार लेन राजमार्गों जैसी सभी मेगा बुनियादी ढांचा परियोजनाओं पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने की मांग की है। साथ ही इन संगठनों ने सभी विकास परियोजनाओं के लिए जनमत संग्रह और सार्वजनिक परामर्श को अनिवार्य बनाने की अपील की।

पीपुल फॉर हिमालय अभियान का संयुक्त रूप से नेतृत्व करने वाले संगठनों ने एक ऑनलाइन प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान आगामी लोकसभा चुनावों के लिए सभी राजनीतिक दलों के लिए पांच सूत्री मांग पत्र जारी किया। इन्होंने मौजूदा परियोजनाओं के प्रभावों की व्यापक समीक्षा के साथ-साथ रेलवे, बांध, पनबिजली परियोजनाओं, सुरंग निर्माण, ट्रांसमिशन लाइनों और चार लेन राजमार्गों से संबंधित सभी मेगा बुनियादी ढांचा परियोजनाओं पर पूर्ण रोक लगाने का आह्वान किया।

परियोजनाओं के लिए हो जनमत संग्रह
संगठनों ने मांग की कि बड़ी बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के लिए जनमत संग्रह और सार्वजनिक परामर्श के माध्यम से लोकतांत्रिक निर्णय लेना अनिवार्य बनाया जाए। संगठनों ने पर्यावरण प्रभाव आकलन अधिसूचना-1994 को मजबूत करने, ईआईए-2020 संशोधनों और एफसीए-2023 संशोधनों को खत्म करने और सभी विकास परियोजनाओं के लिए ग्राम सभाओं की पूर्व सूचित सहमति की भी मांग की। एजेंसी

देश के 60 से अधिक पर्यावरण और सामाजिक संगठनों ने हिमालय में रेलवे, बांध, जलविद्युत परियोजनाओं तथा चार लेन राजमार्गों जैसी सभी मेगा बुनियादी ढांचा परियोजनाओं पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने की मांग की है। साथ ही इन संगठनों ने सभी विकास परियोजनाओं के लिए जनमत संग्रह और सार्वजनिक परामर्श को अनिवार्य बनाने की अपील की।

पीपुल फॉर हिमालय अभियान का संयुक्त रूप से नेतृत्व करने वाले संगठनों ने एक ऑनलाइन प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान आगामी लोकसभा चुनावों के लिए सभी राजनीतिक दलों के लिए पांच सूत्री मांग पत्र जारी किया। इन्होंने मौजूदा परियोजनाओं के प्रभावों की व्यापक समीक्षा के साथ-साथ रेलवे, बांध, पनबिजली परियोजनाओं, सुरंग निर्माण, ट्रांसमिशन लाइनों और चार लेन राजमार्गों से संबंधित सभी मेगा बुनियादी ढांचा परियोजनाओं पर पूर्ण रोक लगाने का आह्वान किया।

परियोजनाओं के लिए हो जनमत संग्रह
संगठनों ने मांग की कि बड़ी बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के लिए जनमत संग्रह और सार्वजनिक परामर्श के माध्यम से लोकतांत्रिक निर्णय लेना अनिवार्य बनाया जाए। संगठनों ने पर्यावरण प्रभाव आकलन अधिसूचना-1994 को मजबूत करने, ईआईए-2020 संशोधनों और एफसीए-2023 संशोधनों को खत्म करने और सभी विकास परियोजनाओं के लिए ग्राम सभाओं की पूर्व सूचित सहमति की भी मांग की। एजेंसी

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