ये तेरा घर ये मेरा घर…देवभूमि में पंचायत चुनाव ने भरे चटख रंग और ताजगी

फिल्मी गीत ये तेरा घर ये मेरा घर किसी को देखना हो गर तो पहले आके मांग ले मेरी नजर तेरी नजर… पंचायत चुनाव के परपंच पर ये लाइनें सटीक बैठती हैं। दो दिनों की मतगणना के बाद फिलहाल नतीजों का जो निचोड़ निकला है, परिवारों की परंपरा, प्रतिष्ठा से ही जोड़कर देखा जा रहा है।
ऐसा इसलिए, क्योंकि चुनाव से पहले किसने किसको समर्थन दिया और चुनावी समर के मंथन के बाद कौन किसके साथ होगा, नतीजों ने इसकी संभावनाएं बढ़ा दी हैं। चुनाव में बड़ी संख्या में निर्दलीय जीतकर आए हैं और पार्टियों के बगावती भी जीते हैं। अब आने वाले दिनों में गिले-शिकवे दूर करने, मान मनौव्वल का दौर और बहुत कुछ देखने और सुनने में आएगा। फाइनल स्कोर बोर्ड में 12 जिलों में छोटी सरकार के गठन के बाद साफ होगा कि भाजपा-कांग्रेस के हिस्से में राजनीतिक रूप से क्या आया।
पिछली बार 12 जिला पंचायतों में 10 पर भाजपा और 2 पर कांग्रेस के अध्यक्ष थे।इस बार के पंचायत चुनाव में कई चटख रंग देखने को मिले, जिन्होंने उत्तराखंड की सामाजिक और राजनीतिक भूमि में ताजगी भरी है। एक ओर बड़ी सोच और जोश के साथ पेशेवर उच्च शिक्षित दक्ष युवाओं और महिलाओं ने आगे आकर राज्य की प्रगति के संकल्प को पंख लगाए हैं। वहीं, दूसरी ओर राज्य को अपनी सेवाएं देने वाले पूर्व अधिकारी आगे बढ़कर अपने गांवों की कमान संभालने को तैयार दिखे हैं।
खजान दास के बयान की चर्चा
अनजाने में हुए इस बदलाव का असर आने वाले वर्षों में जरूर दिखेगा और सुदूर निर्जन गांवों में रौनक लौटने के साथ विकास का पहिया तेजी से भागेगा। राजनीति के धुरंधरों ने इन चुनावों में अपनी अगली पीढ़ी को भविष्य के लिए परखने के लिए प्रथम पाठशाला की परीक्षा में बैठकर क्षमताएं आंकी हैं।
भाजपा नेता खजान दास के इस बयान कि समुद्र से एक-दो लोटा पानी कम होने से कुछ नहीं होता, को नतीजों की कसौटी पर कसा जाए तो पार्टी को चिंतन जरूर करना चाहिए। उत्तराखंड के मतदाताओं, जिनमें भाजपा के समर्थक और कार्यकर्ता भी शामिल हैं, परिवारवाद को सिरे से नकारा है। पंचायत चुनाव में समुद्र की लहरें नहीं टूटी हैं लेकिन परिवारवाद के परपंच में जो एक-दो लोटा पानी कम हुआ है स्पष्ट तौर पर दिख रहा है।
पूर्व मंत्री और लोकसभा चुनाव में पार्टी को मजबूती देने कांग्रेस से लाए गए राजेंद्र भंडारी निवर्तमान जिला पंचायत अध्यक्ष पत्नी रजनी भंडारी को पुन: नहीं जिता पाए। चमोली प्रदेश भाजपा अध्यक्ष महेंद्र भट्ट का गृह जिला है। कुमाऊं में सल्ट से भाजपा विधायक महेश जीना के बेटे करन सफल नहीं हुए। लोहाघाट से पूर्व विधायक पूरन सिंह की बेटी सुष्मिता फरत्याल नहीं जीतीं। भाजपा विधायक शक्ति लाल शाह के दामाद हरेंद्र शाह भी चुनाव हारे हैं। विधायक दिलीप सिंह की पत्नी नीतू देवी लैंसडौन से जिला पंचायत सदस्य का चुनाव हार गई हैं। पूर्व विधायक मालचंद की बेटी अंजलि भी हार गईं, हालांकि बहू जीतीं हैं। विधायक सरिता आर्य के बेटे रोहित आर्य चुनाव हारे हैं। चुनावी नफा-नुकसान जल्द ही सामने आ जाएगा, लेकिन भाजपा परिवार को पार्टी के परिवारवाद से नुकसान हुआ है।