क्या कोविड-19 महामारी और बच्चों में मोटापे में सीधा संबंध? WHO की रिपोर्ट में सामने आए चौंकाने वाले तथ्य

यूरोपीय क्षेत्र में विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) कार्यालय ने अपनी एक नई रिपोर्ट में कोविड-19 महामारी और 7 से 9 वर्ष की आयु के बच्चों में मोटापे की बढ़ती दर के बीच संबंध की पुष्टि की है। “Report on the impact of the COVID-19 pandemic on the daily routine and behaviours of school-aged children: results from 17 Member States in the WHO European Region”, नामक यह अध्ययन बुधवार को सामने आया। ये दर्शाता है कि वैश्विक महामारी के कारण बच्चों की शारीरिक सक्रियता पर असर हुआ है।

यूएन विशेषज्ञों के अनुसार, बच्चों ने फोन, लैपटॉप या अन्य उपकरणों की स्क्रीन पर कहीं अधिक समय बिताया, उनके शारीरिक रूप से सक्रिय होने में कमी आई और वजन जरूरत से ज़्यादा बढ़ने के मामलों में उछाल आया। यूएन स्वास्थ्य एजेंसी के इस सर्वेक्षण के लिए यूरोपीय क्षेत्र में स्थित 53 सदस्यों में से 17 देशों में 2021 से 2023 के दौरान राय जानने का प्रयास किया गया। 50 हज़ार से अधिक बच्चों ने इस सर्वेक्षण में हिस्सा लिया।

WHO के अध्ययन के अनुसार वैश्विक महामारी के दौरान निम्न रुझान देखे गए हैं:

  • 36 प्रतिशत बच्चों के लिए टेलिविजन देखने, ऑनलाइन गेम खेलने या सप्ताह के दौरान सोशल मीडिया का इस्तेमाल करने के समय में वृद्धि हुई ।
  • 34 प्रतिशत बच्चों ने सप्ताहांत में मनोरंजन के लिए अपना स्क्रीन टाइम बढ़ाया।
  • 28 प्रतिशत बच्चों द्वारा घर से बाहर जाकर बिताए गए समय में गिरावट आई, और 23 फ़ीसदी बच्चों के लिए सप्ताहांत में इसमें कमी देखी गई।
  • परिवारों ने बताया कि घर में तैयार भोजन को खाने, परिवार के रूप में एक साथ बैठकर खाने और बच्चों के साथ खाना पकाने में भी स्थिति बेहतर हुई है।
  • 42 प्रतिशत बच्चों ने बताया कि वे पहले से कम खुश हैं और उनके कल्याण पर असर हुआ है।
  • हर पांच में से एक बच्चा अक्सर दुखी रहने का अनुभव महसूस करता है। हर चार में से एक बच्चा स्वयं को अकेला समझ रहा है।

देशों के लिए सबक

WHO यूरोपीय कार्यालय में पोषण, शारीरिक सक्रियता व मोटापे पर क्षेत्रीय सलाहकार डॉक्टर क्रेमलिन विक्रमासिंघे ने बताया कि कुछ देशों में सकारात्मक बदलाव आए हैं, जैसे कि परिवार एक साथ मिलकर खाना खा रहा है। मगर, ऐसे भी देश हैं जहां हालात चिंताजनक है। बच्चों में अस्वस्थ ढंग से खाने-पीने की प्रवृत्ति बढ़ी है और उनके शारीरिक रूप से शिथिल बने रहने की अवधि भी बढ़ी है।

डॉक्टर विक्रमासिंघे ने स्पष्ट किया कि इन रुझानों को नजरअंदाज करने का जोखिम मोल नहीं लिया जा सकता है। उन्होंने कहा, “हमारे क्षेत्र में, हर तीन में से एक बच्चा जरूरत से अधिक वज़न और मोटापे में जीवन गुजार रहा है। फलों और सब्ज़ियों की खपत पहले से ही कम है।”

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