फिर बदलने वाला है देश की राजधानी का मौसम, दिल्ली में छह दिन तेज बारिश के आसार

नई दिल्ली:  देश के कई हिस्सों में मानसून ने जबरदस्त दी है। लेकिन राजधानी में इसका कोई खास असर देखने को नहीं मिल रहा है। कुछ हिस्सों में बारिश बहुत ही छिटपुट और कम समय के लिए जरूर हुई है,लेकिन जोरदार बरसात नहीं हुई है। आने वाले कुछ दिनों में तेज बारिश का दौर दिल्ली में देखने को मिल सकता है।

मौसम एजेंसियों का पूर्वानुमान है कि, आने वाले कुछ दिनों में दिल्ली में सुबह और रात के समय में बारिश देखने को मिल सकती है। शुक्रवार यानी 11 जुलाई को बारिश की तीव्रता और क्षेत्रफल दोनों बढ़ सकते हैं। रविवार 13 जुलाई की रात से लेकर सोमवार 14 जुलाई की सुबह तक भी तेज और तीव्र वर्षा के आसार हैं। जबकि 13 से 16 जुलाई के बीच भी दिल्ली में अच्छी मानसूनी बारिश की संभावना जताई जा रही है।

निजी मौसम पूर्वानुमान एजेंसी स्काईमेट वेदर का अनुमान है कि दिल्ली में अब तक भारी बारिश नहीं हुई है। बुधवार सुबह बादल जरूर छाए, लेकिन कोई खास मौसमी गतिविधि नहीं हुई। बेस स्टेशन सफदरजंग और लोधी रोड स्थित मौसम केंद्रों पर पिछले 24 घंटों में कोई वर्षा दर्ज नहीं हुई है। केवल पालम में बीती रात (8 जुलाई) हल्की गरज-चमक के साथ 0.2 मिमी वर्षा रिकॉर्ड की गई। इसके अलावा जाफरपुर, नजफगढ़, नरेला और अयानगर में भी हल्की बारिश हुई।

दिल्ली में बारिश का वितरण बहुत ही असमान रहा
इस मानसून सीजन में दिल्ली में बारिश का वितरण बहुत ही असमान रहा है। जून महीने में 20 प्रतिशत बारिश की कमी दर्ज की गई थी। आमतौर पर जून महीने में 80.6 मिमी वर्षा होती है, लेकिन इस बार केवल 65 मिमी बारिश हुई। जबकि जुलाई की शुरुआत भी सुस्त रही है। 1 से 9 जुलाई तक सफदरजंग वेधशाला पर सिर्फ 19 मिमी वर्षा रिकॉर्ड की गई, जबकि जुलाई महीने का औसत 195.8 मिमी होता है। स्काईमेट का कहना है कि, 1 जून से 9 जुलाई तक केवल दक्षिण-पश्चिम दिल्ली में सामान्य मानसून वर्षा हुई है। बाकी सभी जिलों में बारिश की कमी दर्ज हुई है। दिल्ली के कई उत्तरी जिलों में बारिश की मात्रा अब तक दो अंकों तक ही सीमित रही है, जो कि भारी कमी को दर्शाता है। हालांकि, आने वाले सप्ताह में पिछले दो हफ्तों की तुलना में अच्छी और भारी बारिश हो सकती है।

उत्तर भारत के मैदानों में दो छोटे स्तर के चक्रवाती परिसंचरण बने
एजेंसी का कहना है कि उत्तर भारत के मैदानों में दो छोटे स्तर के चक्रवाती परिसंचरण बने हुए हैं। एक उत्तर पंजाब और पाकिस्तान से सटे हिस्से में है। जबकि दूसरा हरियाणा पर स्थित है। इन दोनों के बीच एक ट्रफ रेखा बनी हुई है, जो दिल्ली के नज़दीक से गुजर रही है। पश्चिम बंगाल व झारखंड के ऊपर मौजूद निम्न दबाव क्षेत्र के अवशेष से जुड़े परिसंचरण से जुड़ती है। यही ट्रफ रेखा अगले एक हफ्ते तक दिल्ली में मौसम गतिविधियों का मुख्य कारण बनी रहेगी।

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