लाल सागर में जर्मन विमान पर चीनी युद्धपोत का लेजर हमला, बर्लिन में ड्रैगन के राजदूत हुए तलब

बर्लिन:लाल सागर में चीन और जर्मनी के बीच तनाव बढ़ गया है। जर्मनी ने आरोप लगाया है कि चीन के एक युद्धपोत ने उनके निगरानी विमान पर लेजर बीम से निशाना साधा। यह विमान यूरोपीय संघ के एस्पाइड्स मिशन का हिस्सा था, जो यमन के हूती विद्रोहियों से व्यावसायिक जहाजों की सुरक्षा के लिए तैनात है। इस घटना के बाद जर्मनी ने बर्लिन में चीन के राजदूत को तलब कर कड़ा विरोध दर्ज कराया है।

जर्मनी के रक्षा मंत्रालय के अनुसार, यह हमला इस महीने की शुरुआत में हुआ था। चीन का युद्धपोत पहले भी कई बार उस क्षेत्र में दिखाई दिया था। बिना किसी पूर्व सूचना के इस लेजर हमले ने विमान में मौजूद जर्मन सेना के कर्मचारियों और उपकरणों को खतरे में डाल दिया। हालांकि, चालक दल पूरी तरह सुरक्षित रहा और विमान को सावधानी के तौर पर जबूती के बेस पर उतार लिया गया।

एस्पाइड्स मिशन क्या है?
एस्पाइड्स मिशन यूरोपीय संघ की रक्षा नीति के तहत चलाया जा रहा एक शांति मिशन है, जिसका मकसद लाल सागर, अदन की खाड़ी और हिंद महासागर में व्यापारिक जहाजों को सुरक्षा देना है। यह किसी भी प्रकार के हमले या सैन्य कार्रवाई का हिस्सा नहीं होता। हूती विद्रोहियों द्वारा क्षेत्र में बढ़ते हमलों के बीच यह मिशन और अधिक अहम हो गया है।

जर्मनी की कड़ी प्रतिक्रिया, चीन चुप
इस हमले के बाद जर्मन विदेश मंत्रालय ने इस कृत्य को “पूरी तरह अस्वीकार्य” बताया और कहा कि इससे न केवल जर्मन कर्मचारियों की जान को खतरा हुआ बल्कि मिशन की सुरक्षा भी दांव पर लग गई। इसके जवाब में चीन की तरफ से अब तक कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है। चीन का विदेश मंत्रालय और बर्लिन स्थित दूतावास दोनों ही चुप्पी साधे हुए हैं।

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