एक जून से शुरू होगा वन अधिकार कानून पर जागरूकता अभियान, केंद्र ने राज्यों को दिए निर्देश

नई दिल्ली:केंद्र सरकार ने वन अधिकार कानून (एफआरए) 2006 क लेकर सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को एक महीने का जागरूकता अभियान चलाने का निर्देश दिया है। इस अभियान का मकसद कानून के बेहतर निर्वहन और आदिवासी व वनवासियों की ज्यादा भागीदारी सुनिश्चित करना है। मामले में केंद्र सरकार ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से पत्र जारी कर कहा है कि 1 जून से वन अधिकार कानून (एफआरए) 2006 को लेकर एक महीने का जागरूकता अभियान चलाया जाए। जनजातीय मामलों के मंत्रालय ने अपने पत्र में कहा है कि यह अभियान राज्य और जिला स्तर पर चलेगा। इसकी अगुवाई जिला एफआरए सेल और प्रोजेक्ट मैनेजमेंट यूनिट करेंगी।
जनजातीय मंत्रालय ने दी जानकारी
मंत्रालय ने बताया कि इस अभियान के दौरान कुछ मुख्य बिंदुेओं पर जोर दिया जाएगा, जिसमें व्यक्तिगत और सामुदायिक वन अधिकार की जानकारी देना, ग्राम सभाओं की भूमिका समझाना, दावे दाखिल करने की प्रक्रिया बताना, पहले से आए दावों की स्थिति पर चर्चा करना शामिल है।
इसके अलावा, कई उपयोगी काम भी अभियान में शामिल होंगे जैसे कि वन अधिकार पट्टों (एफआरए Titles) का वितरण, लाभार्थियों को मिट्टी की जांच रिपोर्ट और खेती के लिए सहायता देना, पीएम-किसान, आधार पंजीकरण जैसी योजनाओं से जोड़ना, हर हफ्ते बैठक कर लंबित मामलों की समीक्षा करना। साथ ही मंत्रालय ने राज्यों से कहा है कि वे कृषि, मत्स्य, पंचायत विभाग और जिला कलेक्टरों के साथ मिलकर इसकी तुरंत तैयारी शुरू करें।
क्या है वन अधिकार कानून, समझिए
बता दें कि वन अधिकार अधिनियम, 2006 आदिवासी और परंपरागत वनवासियों को उनके रिहायशी और उपयोग की जमीन पर अधिकार देता है। ये वही जमीनें हैं जिन पर वे पीढ़ियों से रह रहे हैं या उनकी रक्षा करते आ रहे हैं। लेकिन इसका निर्वाहन शुरू से ही विवादों और गड़बड़ियों से भरा रहा है।
अब तक कितने दावे हुए और कितने खारिज?
सरकारी आंकड़ों के अनुसार 31 जनवरी 2024 तक 51 लाख से ज्यादा दावे एफआरए के तहत किए जा चुके हैं, जिनमें से एक तिहाई से ज्यादा खारिज हो चुके हैं। सबसे ज्यादा दावे छत्तीसगढ़ से 9.41 लाख, फिर ओडिशा 7.20 लाख, तेलंगाना 6.55 लाख, मध्य प्रदेश 6.27 लाख और महाराष्ट्र 4.09 लाख दावे सामने आए। इसमें सबसे ज्यादा दावे छत्तिसगढ़ से खारिज हुए 4 लाख से ज्यादा, फिर मध्य प्रदेश से 3.22 लाख, महाराष्ट्र से 1.72 लाख, ओडिशा से 1.44 लाख और झारखंड से 28,107 दावे खारिज हुए हैं।