21 अंतरराष्ट्रीय संगठनों ने सीजेआई को लिखा पत्र, कोयला आयात मामले की जांच तेजी से निपटाने की अपील

कम से कम 21 अंतरराष्ट्रीय संगठनों ने प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ को पत्र लिखकर उच्चतम न्यायालय से अनुरोध किया है कि वह राजस्व खुफिया निदेशालय द्वारा इंडोनेशियाई कोयला आयात के कथित ओवरवैल्यूएशन के मामले की जांच कर रहे लंबित मामले को तेजी से निपटाए। संगठनों ने कहा वे जीवाश्म ईंधन के निरंतर उपयोग के खिलाफ दृढ़ता से खड़े हैं।

यह पत्र लंदन स्थित फाइनेंशियल टाइम्स की एक रिपोर्ट के बाद आया है, जिसमें जॉर्ज सोरोस समर्थित संगठित अपराध और भ्रष्टाचार रिपोर्टिंग प्रोजेक्ट (ओसीसीआरपी) के दस्तावेजों का हवाला दिया गया है। इसके अनुसार 2013 में उच्च मूल्य वाले ईंधन के रूप में निम्न-श्रेणी के कोयले को बेचकर अदाणी समूह की ओर से धोखाधड़ी करने की आशंका जताई गई थी।फाइनेंशियल टाइम्स की रिपोर्ट ने तमिलनाडु के टैनजेडको के साथ लेनदेन में अदाणी समूह द्वारा “कम गुणवत्ता वाले कोयले को कहीं अधिक महंगा “स्वच्छ ईंधन” बताया गया गया था।

मुख्य न्यायाधीश चंद्रचूड़ को पत्र लिखने वाले 21 अंतरराष्ट्रीय संगठनों में ऑस्ट्रेलियन सेंटर फॉर इंटरनेशनल जस्टिस, बैंक ट्रैक, बॉब ब्राउन फाउंडेशन, कल्चर अनस्टेन्ड, एको, एक्सटिंक्शन रिबेलियन, फ्रेंड्स ऑफ द अर्थ ऑस्ट्रेलिया, लंदन माइनिंग नेटवर्क, मैके कंजर्वेशन ग्रुप, मार्केट फोर्सेस, मनी रिबेलियन, मूव बियॉन्ड कोल, सीनियर्स फॉर क्लाइमेट एक्शन नाउ, स्टैंड.अर्थ, स्टॉप अडानी, सनराइज मूवमेंट, टिपिंग पॉइंट, टॉक्सिक बॉन्ड्स, ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल ऑस्ट्रेलिया, डब्ल्यू एंड जे नागाना यारबायन कल्चरल कस्टोडियन और क्वींसलैंड कंजर्वेशन काउंसिल आदि शामिल हैं।

दूसरी ओर, जबकि अदाणी समूह ने अपने ऊपर लगे सभी आरोपों से इनकार किया है। समाचार रिपोर्ट का हवाला देते हुए, पूर्व कांग्रेस प्रमुख राहुल गांधी सहित विपक्षी नेताओं ने कथित गलत कामों की संयुक्त संसदीय समिति से जांच की मांग की है।समूह के एक प्रवक्ता ने कहा कि कोयले की गुणवत्ता का स्वतंत्र रूप से लोडिंग और डिस्चार्ज के बिंदु पर परीक्षण किया गया था। साथ ही सीमा शुल्क अधिकारियों और तमिलनाडु जनरेशन एंड डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी (टैनजेडको) के अधिकारियों द्वारा भी इसकी जांच की गई थी।
समूह के अनुसार आपूर्ति किए गए कोयले की विभिन्न एजेंसियों ने विभिन्न जगहों पर विस्तृत गुणवत्ता जांच की थी। इससे यह साफ है कि कम गुणवत्ता वाले कोयले की आपूर्ति का आरोप न केवल निराधार और अनुचित है बल्कि पूरी तरह से बेतुका है।

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