चलते-फिरते हुए संगीत सुनने का शौक है, तो आपको एक बेहतरीन हेडफोन भी चाहिए? बाजार में तरह-तरह के हेडफोन हैं, लेकिन उसमें सबसे अच्छा कौन सा है, जो बजट में भी हो, इसे परखने के लिए कुछ चीजें जान लें। बाजार में मौजूद ढेरों हेडफोन्स में से अपने लिए सही हेडफोन चुनना आसान काम नहीं है। वहीं, जब बात हेडफोन के स्पेसिफिकेशंस की हो, तो इन्हें समझना भी पेचीदा है। साथ ही तकनीक और साउंड क्वालिटी की भी परख कर पाना मुश्किल होता है। ऐसे में पहले हेडफोन्स के बारे में जरूरी बातें जान लें जैसे कितने प्रकार के हेडफोन्स होते हैं और इनके जटिल स्पेसिफिकेशंस का मतलब क्या होता है? 

इन ईयर हेडफोन्स या ईयरफोन्स
इन ईयर हेडफोन्स को ईयर मॉनिटर भी कहते हैं। इन हेडफोन्स को इस तरह डिजाइन किया जाता है कि ये कान के अंदर फिट हो जाते हैं। इसके दो फायदे होते हैं। पहला, ये हेडफोन्स कान के पर्दे के पास रहते हैं, जिससे आपको बेहतर साउंड क्वालिटी मिलती है। दूसरा, ये बाहर के शोर को भी अंदर आने से रोकते हैं। ईयरफोन्स अलग-अलग साइज में आते हैं, जिनमें से आप अपने कानों में ठीक से फिट होने वाले ईयरफोन को चुन सकते हैं। वहीं, गलत साइज के ईयरफोन्स से ऑडियो क्वालिटी पर तो फर्क पड़ता ही है, साथ ही ये बार-बार कान से गिरते भी रहते हैं।
इन ईयर हेडफोन्स को ईयर मॉनिटर भी कहते हैं। इन हेडफोन्स को इस तरह डिजाइन किया जाता है कि ये कान के अंदर फिट हो जाते हैं। इसके दो फायदे होते हैं। पहला, ये हेडफोन्स कान के पर्दे के पास रहते हैं, जिससे आपको बेहतर साउंड क्वालिटी मिलती है। दूसरा, ये बाहर के शोर को भी अंदर आने से रोकते हैं। ईयरफोन्स अलग-अलग साइज में आते हैं, जिनमें से आप अपने कानों में ठीक से फिट होने वाले ईयरफोन को चुन सकते हैं। वहीं, गलत साइज के ईयरफोन्स से ऑडियो क्वालिटी पर तो फर्क पड़ता ही है, साथ ही ये बार-बार कान से गिरते भी रहते हैं।
ओवर ईयर हेडफोन्स
ओवर ईयर हेडफोन्स पूरे कानों को ढक लेते हैं। साथ ही, इनके बड़े आकार के कारण, इनमें बड़े ड्राइवर्स भी आसानी से लगाए जा सकते हैं। बड़े ड्राइवर का मतलब है, तेज आवाज और बेहतर बास। इस प्रकार के हेडफोन्स में ड्राइवर्स को कान से थोड़ी दूरी पर रखते हैं, जिस कारण इनसे मिलने वाले ऑडियो से स्पीकर की तरह मिलने वाली साउंड क्वालिटी का अनुभव होता है। साथ ही, पूरा कान ढकने के कारण, ये हेडफोन्स बाहर के शोर को काफी हद तक कम कर देते हैं। यह कहना भी उचित नहीं होगा कि ओवर हेड हेडफोन अन्य कैटेगरी के हेडफोन से बेहतर होते हैं। दरअसल, यह संगीत सुनने वाले की पसंद और जरूरत पर निर्भर करता है।
ओवर ईयर हेडफोन्स पूरे कानों को ढक लेते हैं। साथ ही, इनके बड़े आकार के कारण, इनमें बड़े ड्राइवर्स भी आसानी से लगाए जा सकते हैं। बड़े ड्राइवर का मतलब है, तेज आवाज और बेहतर बास। इस प्रकार के हेडफोन्स में ड्राइवर्स को कान से थोड़ी दूरी पर रखते हैं, जिस कारण इनसे मिलने वाले ऑडियो से स्पीकर की तरह मिलने वाली साउंड क्वालिटी का अनुभव होता है। साथ ही, पूरा कान ढकने के कारण, ये हेडफोन्स बाहर के शोर को काफी हद तक कम कर देते हैं। यह कहना भी उचित नहीं होगा कि ओवर हेड हेडफोन अन्य कैटेगरी के हेडफोन से बेहतर होते हैं। दरअसल, यह संगीत सुनने वाले की पसंद और जरूरत पर निर्भर करता है।
ओपन और क्लोज्ड बैक हेडफोन्स
अक्सर, हेडफोन्स के स्पेसिफिकेशंस में ओपन बैक और क्लोज्ड बैक देखने को मिलता है। इसका मतलब हेडफोन के पिछले हिस्से से होता है कि वह खुला हुआ है या सील किया हुआ है। क्लोज्ड बैक हेडफोन्स से साफ साउंड मिलती है और यह आस-पास के शोर के प्रभाव को भी रोकते हैं। ओपन बैक हेडफोन्स से नेचुरल साउंड मिलती है।
अक्सर, हेडफोन्स के स्पेसिफिकेशंस में ओपन बैक और क्लोज्ड बैक देखने को मिलता है। इसका मतलब हेडफोन के पिछले हिस्से से होता है कि वह खुला हुआ है या सील किया हुआ है। क्लोज्ड बैक हेडफोन्स से साफ साउंड मिलती है और यह आस-पास के शोर के प्रभाव को भी रोकते हैं। ओपन बैक हेडफोन्स से नेचुरल साउंड मिलती है।
ड्राइवर
ड्राइवर, हेडफोन का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा होता है। ड्राइवर ही इलेक्ट्रिक सिग्नल को साउंड प्रेशर में बदलता है। सरल शब्दों में कहा जाए, तो यही आवाज को पैदा करता है। वैसे तो कई अलग-अलग तरह के ड्राइवर्स होते हैं, लेकिन सभी में तीन चीजें चुम्बक, वॉयस कॉइल्स और डायफ्राम होते हैं। यह सारे कंपोनेंट्स डायफ्राम में कंपन पैदा करते हैं। ये कंपन ही साउंड वेब्स बनाते हैं, जिन्हें हमारे कान सुन पाते हैं। हेडफोन के स्पेसिफिकेशंस में आपको डायफ्राम का डायमीटर (व्यास) अक्सर देखने को मिलता है। इसके डायमीटर को मिलीमीटर में मापा जाता है। साथ ही जितना बड़ा ड्राइवर होगा, हेडफोन की क्वालिटी भी उतनी ही बेहतर होगी।
ड्राइवर, हेडफोन का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा होता है। ड्राइवर ही इलेक्ट्रिक सिग्नल को साउंड प्रेशर में बदलता है। सरल शब्दों में कहा जाए, तो यही आवाज को पैदा करता है। वैसे तो कई अलग-अलग तरह के ड्राइवर्स होते हैं, लेकिन सभी में तीन चीजें चुम्बक, वॉयस कॉइल्स और डायफ्राम होते हैं। यह सारे कंपोनेंट्स डायफ्राम में कंपन पैदा करते हैं। ये कंपन ही साउंड वेब्स बनाते हैं, जिन्हें हमारे कान सुन पाते हैं। हेडफोन के स्पेसिफिकेशंस में आपको डायफ्राम का डायमीटर (व्यास) अक्सर देखने को मिलता है। इसके डायमीटर को मिलीमीटर में मापा जाता है। साथ ही जितना बड़ा ड्राइवर होगा, हेडफोन की क्वालिटी भी उतनी ही बेहतर होगी।
उदाहरण के लिए, यदि आप कोई ओवर ईयर हेडफोन ले रहे हैं, तो 40mm का ड्राइवर बेहतर होगा। ईयरफोन्स या ईयरबड्स के छोटे आकार के कारण, इनमें बड़े ड्राइवर नहीं लगाए जा सकते। ऐसे में अब कई ब्रांड्स इनमें डुअल ड्राइवर का प्रयोग करते हैं। इस तरह के डुअल ड्राइवर सेटअप में केवल एक ही ड्राइवर सारी फ्रीक्वेंसी को नियंत्रित करने की बजाय एक ड्राइवर बास यानी धमक और दूसरा मिड और हाई फ्रीक्वेंसी को नियंत्रित करता है।
सेंसिटिविटी और साउंड प्रेशर लेवल
सेंसिटिविटी और साउंड प्रेशर लेवल को एसपीएल भी कहा जाता है। हेडफोन्स के स्पेसिफिकेशंस में ये अमूमन देखने को मिलता है। हेडफोन की आवाज कितनी तेज हो सकती है यह एसपीएल पर ही निर्भर करता है। सेंसिटिविटी का मतलब होता है कि हेडफोन इलेक्ट्रॉनिक सिग्नल को ध्वनिक सिग्नल में बदलने में कितना सक्षम है। सेंसिटिविटी को अक्सर डेसीबल्स में मापा जाता है। हेडफोन्स के स्पेसिफिकेशन में इसे डेसीबल पर मिलीवॉट में दर्शाया जाता है। बाजार में बिकने वाले अधिकांश हेडफोन्स 85 -120 dB SPL/mW के बीच आते हैं।
सेंसिटिविटी और साउंड प्रेशर लेवल को एसपीएल भी कहा जाता है। हेडफोन्स के स्पेसिफिकेशंस में ये अमूमन देखने को मिलता है। हेडफोन की आवाज कितनी तेज हो सकती है यह एसपीएल पर ही निर्भर करता है। सेंसिटिविटी का मतलब होता है कि हेडफोन इलेक्ट्रॉनिक सिग्नल को ध्वनिक सिग्नल में बदलने में कितना सक्षम है। सेंसिटिविटी को अक्सर डेसीबल्स में मापा जाता है। हेडफोन्स के स्पेसिफिकेशन में इसे डेसीबल पर मिलीवॉट में दर्शाया जाता है। बाजार में बिकने वाले अधिकांश हेडफोन्स 85 -120 dB SPL/mW के बीच आते हैं।
फ्रीक्वेंसी रिस्पॉन्स
फ्रीक्वेंसी रिस्पॉन्स का मतलब होता है कि हेडफोन कितनी ऑडियो फ्रीक्वेंसी पैदा कर सकता है। इसे हर्ट्ज में मापा जाता है। फ्रीक्वेंसी जितनी कम होगी, हेडफोन का बास यानी धमक उतनी ही कम होगी और फ्रीक्वेंसी जितनी अधिक होगी टर्बल यानी झंकार उतनी ही अधिक होगी। बाजार में मौजूद हेडफोन्स 20-20,000Hz के बीच फ्रीक्वेंसी रिस्पॉन्स देते हैं।
फ्रीक्वेंसी रिस्पॉन्स का मतलब होता है कि हेडफोन कितनी ऑडियो फ्रीक्वेंसी पैदा कर सकता है। इसे हर्ट्ज में मापा जाता है। फ्रीक्वेंसी जितनी कम होगी, हेडफोन का बास यानी धमक उतनी ही कम होगी और फ्रीक्वेंसी जितनी अधिक होगी टर्बल यानी झंकार उतनी ही अधिक होगी। बाजार में मौजूद हेडफोन्स 20-20,000Hz के बीच फ्रीक्वेंसी रिस्पॉन्स देते हैं।
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