लेह लद्दाख में जहां तापमान शून्य से भी नीचे माइनस में चला जाता है। वहां पर तैनात सैनिकों को ठंड से बचने के लिए मोटे व गर्म कपड़े पहनने पड़ते हैं। यूपीटीटीआइ ऐसे कपड़ों की खोज में लगा हुआ है जो वजन में हल्के और ऊष्मारोधी होते हैं। यह बात यूपीटीटीआइ में आयोजित थर्मल बिहेवियर आफ मेटेरियल्स विषय पर आयोजित सेमिनार के दूसरे दिन डा. सुप्रियो चक्रवर्ती ने कही।
उन्होंने बताया कि सैनिकों को बंदूक व अन्य भारी अस्त्र शस्त्र लेकर चलना होता है। ऐसे में उनके कपड़े उन्हें बोझ से कम नहीं लगते, मगर सर्दी से बचने के लिए उन्हें पहनना पड़ता है। उन्होंने उच्च और निम्न तापमान वाले स्थानों पर कार्य करने वाले सैनिकों के लिए विशेष वस्त्रों के बारे में जानकारी दी। इनमें सुपर मैटेरियल का प्रयोग किया जाएगा।
इनमें टीएल की कोटिंग होगी, जो तापमान को नियंत्रित करेंगे। इससे सर्दी और गर्मी में अलग अलग कपड़े नहीं पहनने होंगे। यह कोटिंग डेवलप की जा रही है। आइआइटी कानपुर के प्रो.कांतेश बलानी ने थर्मल बिहेवियर ऑफ हाइड्रोफोबिक मेटेरियल्स पर अपना व्याख्यान दिया। डा. जेपी सिंह ने कपड़ों पर ऊष्मा के प्रभाव व उसके कारण होने वाले गुणों में परिवर्तन पर चर्चा की। मुख्य अतिथि संस्थान के डीन एकेडमिक प्रो. आलोक कुमार ने प्रमाण पत्र वितरित किए। डा. देवेन्द्र प्रसाद, प्रो. महेन्द्र उत्तम, प्रो. प्रमोद कुमार, प्रो. एके पात्रा, डा. मुकेश कुमार सिंह, डा. नीलू कम्बो उपस्थित रहे।