आर्मी चीफ जनरल बिपिन रावत ने नार्थ ईस्ट के संबंध में एक महत्वपूर्ण बात कही है। भारत के लिए चीन और पाकिस्तान के खतरनाक मंसूबों पर चिंता जाहिर करते हुए आर्मी चीफ ने कहा कि चीन और पाकिस्तान भारत की मजबूती को हिलाने में कामयाब नहीं हो पा रहे हैं इसलिए उन्होंने प्रॉक्सी वॉर का रास्ता चुना है। उत्तरी पूर्व के रास्ते भारत आने वाले शरणार्थियों को आर्मी चीफ ने चीन की चाल बताया है। उनका कहना है कि चीन की मिलीभगत से भारत में पाकिस्तान इस रास्ते अपने आतंकी भेज रहा है। बुधवार को राजधानी में उत्तर पूर्व में सीमा सुरक्षा को लेकर हुए एक सेमिनार में आर्मी चीफ ने यह बात कही है।
आर्मी चीफ के बयान में किसी संगठन का नाम सामने आने पर विवाद बढ़ गया। ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेदादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने बिपिन रावत के इस बयान पर आपत्ति दर्ज की है। उन्होंने कहा है कि आर्मी चीफ को राजनीतिक मामलों में दखल नहीं देना चाहिए। उनका काम किसी राजनीतिक पार्टी के उदय पर कमेंट करना नहीं है, लोकतंत्र और संविधान इसकी इजाजत देता है। ओवैसी ने अपने ट्विटर हैंडल पर लिखा कि सेना हमेशा जनता द्वारा चुनी गई सरकार के अंतर्गत काम करती है।
दोकलम मुद्दे पर रावत ने कहा कि चिंता की कोई बात नहीं है। सिलिगुड़ी कॉरिडोर का जिक्र करते हुए आर्मी चीफ ने कहा कि इस पर खतरे का ख्याल रखा जा सकता है, लेकिन हमें उत्तर पूर्व की समस्याओं को समग्रता में देखना होगा। इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि चीन की नजर सिलिगुड़ी कॉरिडोर पर है, जिससे वह नॉर्थ ईस्ट के कई इलाकों को हासिल करने का सपना देख रहा है।